script‘काशी-मथुरा और अयोध्या से कम नहीं भोजशाला मुद्दा’, सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई | Dhar Bhojshala issue is no less than Kashi Mathura and Ayodhya Supreme Court important hearing | Patrika News
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‘काशी-मथुरा और अयोध्या से कम नहीं भोजशाला मुद्दा’, सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई

Dhar Bhojshala : याचिकाकर्ता ने दावा किया कि भोजशाला का मुद्दा काशी-मथुरा और अयोध्या की ही तरह है। कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, भोजशाला धर्मस्थल उपासना अधिनियम से संबंधित नहीं है, इसलिए इसकी मूल याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए।

धारFeb 17, 2025 / 11:32 am

Faiz

Dhar Bhojshala
Dhar Bhojshala : मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला वर्सेज कमाल मौला मस्जिद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता आशीष गोयल की दायर याचिका पर अहम सुनवाई होनी है। याचिकाकर्ता के अनुसार, भोजशाला धर्मस्थल उपासना अधिनियम से संबंधित नहीं है, इसलिए इसकी मूल याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता के दावे के अनुसार, भोजशाला का मुद्दा काशी-मथुरा और अयोध्या के समान है। याचिका में कहा गया है कि भोजशाला धर्मस्थल उपासना अधिनियम से संबंधित नहीं है, इसलिए इसकी मूल याचिका की सुनवाई की जानी चाहिए। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे की रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है, जिसे हटाने की मांग की जा रही है। बता दें कि, सर्वे के दौरान कमाल मौला वेल फेयर सोसाइटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। एक अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हाई कोर्ट के आदेश से चल रहे सर्वे को यथावत जारी रखा जाए। एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद भी मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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कोर्ट ने 22 मार्च 2024 को दिया था ASI सर्वे का आदेश

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने 2022 में विवादित भोजशाला के हिंदू समाज को पूर्ण अधिकार देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने 22 मार्च 2024 से एएसआई को सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद ये सर्वे 100 दिन चला। सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई 2024 को प्रस्तुत की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।

याचिकाकर्ता की मांग

याचिकाकर्ता आशीष गोयल का तर्क है कि, भोजशाला धर्मस्थल उपासना अधिनियम से संबंधित नहीं है और इसका संरक्षण एएसआई द्वारा किया जा रहा है और प्रधान न्यायाधीश द्वारा विभिन्न धार्मिक स्थलों की सुनवाई एक साथ की जाने की व्यवस्था में इसे शामिल नहीं किया जाए और आगामी कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो रोक लगाई थी, उसे हटाया जाए।

कोर्ट ने दोनों पक्षों को अलग अलग दिन परिजर में जाने का आदेश दिया

बता दें कि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के आदेश अनुसार, प्रति मंगलवार और बसंत पंचमी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिंदू समाज को चावल और पुष्प के साथ अंदर जाने की अनुमति दी गई है, जबकि प्रति शुक्रवार को मुस्लिम समाज को जुमा की नमाज अदा करने की इजाज़त दी गई है। इसके अलावा, इस स्थान पर सप्ताह के अन्य पांच दिन पर्यटक शुल्क अदा करके प्रवेश कर सकते हैं।

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