पहली कथा
ग्रंथों के अनुसार एक बार श्रृंगी ऋषि अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए हुए थे। उन भक्तों के बीच में एक महिला भी शामिल थी। जिस पर ऋषि की नजर पड़ी। तब उन्होंने महिला से उसके बारे में पूछा। उस स्त्री ने श्रृंगी ऋषि को आपबीती बता हुए कहा कि मेरे पति हमेशा बुरे कार्यों में लिप्त रहते हैं। जिसकी वजह से घर का महौल खराब रहता है और मैं किसी भी तरह का पूजा-पाठ नहीं कर पाती हूं। मुझे धर्म के मार्ग पर चलने का कोई सरल उपाय बताइए, जिससे में अपने पति और खुद जीवन को सफल बना सकूं। इसके बाद श्रृंगी ऋषि ने उसको गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की उपासना करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की विधि पूर्वक व्रत और पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके बाद उस स्त्री ने सच्चे मन से मां दुर्गा की उपासना की। कुछ समय बाद मां दुर्गा के आशीर्वाद से उसका पति धर्म के मार्ग पर चलने लगा और एक अच्छा इंसान बन गया।
दूसरी कथा
धार्मिक कथा के अनुसार एक बार एक राज्य में बारिश न होने की वजह से भयंकर सूखा पड़ी। कुछ समय बाद राज्य की प्रजा के पास खाने के लिए अनाज तक नहीं रहा। जब राज की प्रजा भूख से व्याकुल होने लगी तो राजा अपनी प्रजा को इस हाल में देखकर बहुत दुखी हुए। राजा ने भूखी जनता को देखते हुए राज्य के सभी विद्वानों को दरबार में बुला कर इस भीषण परेशानी का समाधान पूछा।
मान्यता है कि विद्वानों ने गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा करने का उपाय बताया। राजा ने विद्वानों की सलाह के अनुसार राज्य में मां दुर्गा की पूजा की घोषणा कराई। जिसके बाद राज्य के सभी लोगों ने विधि पूर्वक मां की पूजा-अर्चना शुरु कर दी। कुछ समय बाद मां दुर्गा समस्त प्रजा की पूजा से प्रसन्न हुईं और राज्य में वर्षा करा के राज्य को सूखा मुक्त किया। इसके बाद राज्य की प्रजा आनंद से अपना जीवन यापन करने लगी।
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