महाभारत में गांधारी एक महत्वपूर्ण किरदार था, जो त्याग और धर्मनिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। वहीं हम गांधारी को हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र की पत्नि के रूप में जानते हैं। लेकिन उनके जीवन से जुड़ी हुई एक और अद्भुत घटना है। जिसमें उनकी बकरे से प्रतीकात्मक शादी हुई थी। इसके पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं।
गांधारी को मांगलिक दोष
गांधारी गंधार नरेश राजा सुबल की पुत्री थीं। मान्यता है कि गंधार की राजकुमारी होने के कारण उनका नाम गांधारी पड़ा। राजा सुबल ने इनका विवाह हस्तिनापुर के राज धृतराष्ट्र से कराया था। लेकिन बताया जाता है कि जब गांधारी का जन्म हुआ तो उनकी जन्म कुंडली बनाई। जिसमें ज्योतिषियों ने मांगलिक होने का दोष बताया। ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि जो व्यक्ति मांगलिक होता है। उसके वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ सकती हैं। उसके जीवनसाथी को किसी प्रकार की हानि हो सकती है। यहां तक कि दोनों पति-पत्नि में से किसी एक की मृत्यु हो सकती है।
बकरे से विवाह
मान्यता है कि इस गांधारी का सुहाग बचा रहे या इस दोष से मुक्त करने के लिए राजा सुबल ने पंडितों की सलाह पर उनका विवाह बकरे से कराया था। जिसके बाद उसकी बलि दे दी। इसके बाद ही गांधार की राजकुमारी गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के महाराजा धृतराष्ट्र के साथ संपन्न हुआ।
अपनी आंखों पर पट्टी बांधने की वजह
मान्यता है कि गांधारी भगवान शिव की बड़ी उपासक थीं। लेकिन जब उनको यह पता चला कि होने वाले पति दृष्टिहीन हैं, तो उन्होंने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। क्योंकि उनका मानना था कि जब उनके पति दुनिया को नहीं देख सकते,तो उनको दुनिया देखने का कोई अधिकार नहीं है।