महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया
महामंडलेश्वर बनने के लिए सबसे पहले उम्मीदवार को अपने गुरु और अखाड़े के वरिष्ठ सदस्यों से समर्थन प्राप्त करना होता है। गुरु के मार्गदर्शन में उम्मीदवार की धार्मिक और आध्यात्मिक योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है। इसके बाद साधक को अखड़े की परंपरा के अनुसार त्रिवेणी के संगम में स्नान और पिंडदान करना होता है। इसके बाद भगवान वस्त्र धारण कराए जाते हैं। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच उनको दूध से स्नान कराया जाता है। यह उम्मीदवार को पवित्र और शुद्ध करने का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद जो भी अखाड़े के महामंडलेश्वर होते हैं वह उनको नया नाम देते हैं। जैसे ममता कलकर्णी का नया नाम श्री यमाई ममतानंद गिरी नाम दिया गया है।रहस्यमयी है नागा साधुओं की दुनिया जानिए कैसे बनते हैं नागा साधु और क्यों नहीं पहनते कपड़े
क्या है किन्नर अखाड़े का इतिहास
किन्नर अखाड़े की स्थापना 2015 में हुई थी। इसकी पहचान मुख्य धारा के प्रमुख 13 अखाड़ों से अलग है। किन्नर अखाड़े अपनी विशेषताएं हैं। क्योंकि यहां साधकों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों जीवन जीने की अनुमति होती है। किन्नर अखाड़े का मुख्य आश्रम उज्जैन में है।दायित्व और उत्तरदायित्व
महामंडलेश्वर बनने के बाद व्यक्ति को किन्नर अखाड़े के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों का नेतृत्व करना होता है।धर्म का प्रचार-प्रसार करना, अखाड़े की परंपराओं को आगे बढ़ाना और समाज में किन्नर समुदाय के अधिकारों के लिए कार्य करना उनकी जिम्मेदारी होती है।