साल का पहला प्रदोष व्रत (First Pradosh Vrat of the year)
11 जनवरी को शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए अत्याधिक शुभ और उत्तम मानी जाती है। इस शुभ दिन पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। साथ ही अविवाहित लड़की अच्छे वर की कामना करती हैं।
प्रदोष व्रत का महत्व (Importance of Pradosh Vrat)
प्रदोष व्रत का पालन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत रोग, दोष और बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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शिवलिंग पर जल चढ़ाएं: प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद शिवलिंग पर गंगाजल या दूध चढ़ाएं। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें: इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने से शिव जी का आशीर्वाद मिलता है। सफेद वस्त्र पहनें: शिव जी को सफेद रंग प्रिय है, इसलिए पूजा के समय सफेद वस्त्र पहनें। बेलपत्र अर्पित करें: भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। इस दिन बेलपत्र, धतूरा और चावल अर्पित करें।
दान-पुण्य करें: गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Worship method of Pradosh Vrat)
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। दिनभर उपवास रखें और सात्विक आहार ग्रहण करें। प्रदोष काल में शिवलिंग के सामने दीपक जलाएं और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक करें। भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करें।
अंत में प्रसाद बांटकर व्रत का समापन करें।