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धर्म से मिलती है जीवन की राह, कर्म से बनती है पहचान

मानव को अपने धर्म का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। धर्म से ही मानव की पहचान होती है । धर्म मानव को जीवन की सही राह दिखाकर आगे बढ़ाने में सहायक होता है। यह बातें शांतिनगर स्थित भीखीबाई पूनमचंद लुणावत जैन स्थानक में विराजित उप प्रवर्तक नरेश मुनि ने प्रवासी राजस्थानी समाजों के प्रतिनिधियों की […]

बैंगलोरJun 13, 2025 / 08:08 pm

Bandana Kumari

मानव को अपने धर्म का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। धर्म से ही मानव की पहचान होती है । धर्म मानव को जीवन की सही राह दिखाकर आगे बढ़ाने में सहायक होता है।

यह बातें शांतिनगर स्थित भीखीबाई पूनमचंद लुणावत जैन स्थानक में विराजित उप प्रवर्तक नरेश मुनि ने प्रवासी राजस्थानी समाजों के प्रतिनिधियों की संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा, जैन धर्म केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक कर्म प्रधान जीवन शैली है, जो सभी जातियों को सम्मान और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर देती है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के सभी तीर्थंकर क्षत्रिय वर्ग से रहे हैं, जिससे स्पष्ट है कि जाति नहीं, बल्कि कर्म ही मूल मूल्य है।उन्होंने सभी समाजों से आह्वान किया कि आगामी चातुर्मास के अवसर पर विभिन्न जाति और धर्म के लोग एकजुट होकर प्रवचन श्रवण करें और भगवान महावीर की वाणी को जीवन में उतारें। उन्होंने कहा, हमने जहां-जहां चातुर्मास किया, वहां सभी को साथ लेकर चले। आज के दौर में एकता और संगठन ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है ।शालिभद्र मुनि ने राजस्थान की सौहार्द और प्रेमपूर्ण परंपरा का स्मरण कराते हुए कहा कि हमें एकजुट रहना है। उन्होंने चातुर्मास के माध्यम से सामाजिक समरसता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। कार्यक्रम में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे।

आध्यात्मिक ऊर्जा का होगा संचार

राजाराम आंजणा पटेल संघ के सचिव भीमाराम पटेल ने कहा कि चातुर्मास के दौरान प्रवचन श्रवण से हमारे जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होगा। सीरवी समाज के ओमप्रकाश बर्फा ने कहा कि इस पहल से सभी समाजों के लोगों में परस्पर स्नेह बढ़ेगा एवं सनातन धर्म का प्रभाव मजबूत होगा। राजपूत समाज कर्नाटक के अध्यक्ष जब्बर सिंह दहिया ने कहा कि जीवन में गुरु का विशेष महत्व है। गुरु भगवान तक पहुंचाने की प्रथम सीढ़ी है। बिश्नोई समाज के अध्यक्ष मालाराम बिश्नोई ने कहा कि संतों की संगति समाज को जागरूक बनाती है। कलाराम पटेल, गुमानराम देवासी, भीमराज राजपुरोहित, जांगिड़ समाज के अध्यक्ष किरताराम जांगिड़ आदि ने भी विचार व्यक्त किए।प्रवासी राजस्थानी कर्नाटक संघ के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपुरोहित ने कहा कि अपने समाजों में अधिक से अधिक लोगों को इस चातुर्मास में जोड़ना है। संगोष्ठी में आगामी दिनों में सर्व समाज के लोगों के लिए किसी एक समाज भवन में मुनियों के प्रवचन आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया। इससे पहले संगोष्ठी का शुभारंभ नवकार मंत्र के स्मरण से हुआ। प्रवासी राजस्थानी कर्नाटक संघ के महामंत्री डॉ. जवरीलाल लुणावत ने स्वागत करते हुए कहा कि नरेश मुनि का आगामी चातुर्मास मागड़ी रोड़ स्थित गुरु ज्येष्ठ पुष्कर आराधना भवन होगा। उन्होंने सभी समाजों से इसमें भाग लेने की अपील की।
इस मौके पर राजाराम आंजणा पटेल संघ के पूर्व अध्यक्ष नाथूराम पटेल, राजपूत समाज के पूर्व कोषाध्यक्ष छैलसिंह दहिया, भाजपा किसान मोर्चा के बाड़मेर जिलाध्यक्ष सांवलाराम पटेल, जांगिड़ समाज के चैनाराम जांगिड़, जाट समाज के धर्माराम कड़वासरा, बिश्नोई समाज के आत्माराम बिश्नोई, प्रवासी राजस्थानी कर्नाटक संघ के संगठन सचिव केवलचंद सालेचा, अविनाश गुलेच्छा, गौतमचंद ओस्तवाल आदि मौजूद थे ।

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