सरमथुरा व बसेड़ी क्षेत्र में फैली हैं यूनिटें जिले में मुख्यतय रेड स्टोन का कारोबार करौली और भरतपुर जिले से लगी सीमावर्ती इलाकों में हैं। इसमें सर्वाधिक यूनिट सरमथुरा और बसेड़ी उपखण्ड में हैं। इसके बाद बाड़ी उपखण्ड में भी कुछ गैंगसा यूनिट कार्यरत हैं। जिलेभर में करीब २०० गैंगसा यूनिट संचालित हैं, जिन पर करीब २० हजार परिवारों को रोजगार मिला हुआ है।
ब्रिटिश हुकूमत में रेड स्टोन को मिली पहचान बता दें कि जिले में रेड स्टोन काफी बड़े इलाके में से निकलता है। इस इलाके को मुख्यतय डांग बोलते हैं। इसकी वजह पथरीली जगह होने से यहां खेती नहीं होती। ब्रिटिश हुकूमत की नजर स्थानीय रेड स्टोन पर पड़ी। फिर उन्होंने इसका उपयोग उस समय इमारतें बनाने में लिया। साल १९१७ से १९३७ तक दिल्ली में रायसीना हिल पर बने संसद भवन का निर्माण रेड स्टोन से कराया गया। वहीं, मुगल शासन काल में भी रेड स्टोन खासा पंसदीदा पत्थर बना रहा। उस समय दिल्ली और आगरा के लाल किले में इसी पत्थर का इस्तेमाल हुआ था।
कई देशों मेें होता है सप्लाई धौलपुर रेड स्टोन कई देशों में सप्लाई होता है। इसमें प्रमुखतय ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, रूस, फ्रांस व दुबई शामिल हैं। बता दें कि धौलपुर में रेड स्टोन का कारोबार जिले के सरमथुरा, बसेड़ी और बाड़ी उपखंड के करीब 400 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इसमें करीब १६५ खदानों से पत्थर निकासी होती है। हालांकि, धौलपुर-करौली टाइगर सेंचुरी बनने से इस उद्योग को नुकसान भी पहुंचा है। कई लीज सेंचुरी में जाने से आने वाले दिनों में कई खदानें बंद हो जाएगी।
जमीन जहां दी, वहां पत्थर खदानें नहीं पूववर्ती वसुंधरा सरकार ने रेड स्टोन इण्डस्ट्रीज को बढ़ावा देने के लिए हाइवे संख्या ११बी किनारे रेड स्टोन पार्क के लिए जमीन आवंटित की थी। लेकिन यह स्थान पत्थर खदानों से दूर है। जिले में पत्थर खदानें सरमथुरा व बसेड़ी इलाके में अधिक है, जिससे रेड पार्क की आवंटित भूमि स्थल से काफी दूरी है। पत्थर व्यवसायियों ने खदान से रेड स्टोन पार्क तक पत्थर लाने में भाड़ा अधिक खर्च होने से इसमें रुचि नहीं दिखाई। व्यवसायियों ने रेड स्टोन पार्क जगह बदलने की मांग उठाई लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। अब स्टोन पार्क को जनरल कर दिया है।
धौलपुर में स्टोन पार्क के लिए जो जगह आवंटित की गई थी लेकिन उसमें रुचि नहीं दिखाने से उसे सामान्य कर दिया। इसमें अब अन्य उद्योग भी स्थापित हो सकते हैं। – पिनतेश, एआरएम रीको धौलपुर
– पत्थर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को नई लीज आवंटित करनी चाहिए। वर्तमान में पत्थर उद्योग का बढ़ा हिस्सा नई टाइगर सेंचुरी में जाने से भविष्य में परेशानी आ सकती है।
– योगेश शर्मा, अध्यक्ष गैंगसा स्टोन एसोसिएशन सरमथुरा