Rajasthan: राजस्थान में असहाय और जरूरतमंदों के लिए दान कर दी थी जमीन, कीमत है 15 करोड़ रुपए
संस्थान के संयोजक सुनील गर्ग ने बताया कि ‘अपना घर’ आश्रम को डॉ. बीएम भारद्वाज और उनकी पत्नी ने खड़ा किया था। इसकी शुरुआत छोटे से गांव बछामदी से हुई थी।
असहाय और जरूरतमंद की सेवा ही परमात्मा की सेवा मानी जाती है, जिसे ‘अपना घर’ आश्रम बखूबी निभा रहा है। इसी कड़ी में अपना घर आश्रम के 121 बैड के नवीन भवन का लोकार्पण भी किया गया। भवन का निर्माण डॉ. केशव चंद्र मंगल की ओर से दी गई भूमि पर हुआ।
मंगल कई साल पहले अमरीका में बस गए थे। मंगल ने बाद में अपनी करोड़ों की भूमि अपना घर संस्थान के नाम कर दी। बाद में उनका निधन हो गया। मंगल ने जमीन निधन से पूर्व संस्थान को दे दी थी। यह जगह है बसेड़ी रोड पर है और जमीन की कीमत वर्तमान में करीब 15 करोड़ से अधिक है। इसी जमीन पर अपना घर संस्थान का निर्माण हुआ है। भवन में दानदाता दंपति की मूर्ति भी लगाई गई है।
बछामदी गांव से शुरुआत
संस्थान के संयोजक सुनील गर्ग ने बताया कि इस संस्थान को एक डॉ. बीएम भारद्वाज और उनकी पत्नी ने खड़ा किया। इसकी शुरुआत छोटे से गांव बछामदी से हुई। दंपती यहां एक कमरे में रहकर लोगों का निशुल्क इलाज करते थे।
इसके बाद दंपति शहर में घूमते और जिनका कोई नहीं होता उसे लेकर आते और इलाज करते। फिर सिलसिला शुरू हो गया। जो आज भी जारी है। अब सूचना पर टीम के लोग बेसहारा लोगों को ‘अपना घर’ भिजवाते हैं। अब इसकी देश-विदेश में करीब 62 शाखाएं संचालित हैं। आश्रम को मां माधुरी ब्रजवासिनी सेवा सदन की ओर से संचालित किया जाता है।
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लगातार जारी है निर्माण कार्य
समाज सेवी विजय सिंघल के अनुसार इस भवन में अन्नपूर्णा रसोई घर, राधा कृष्ण मंदिर कार्यालय के साथ अन्य प्रशासनिक व्यवस्थाएं आदि के लिए भवन बने हुए हैं। साथ ही अन्य भवनों का निर्माण जारी है।
बेसहारा लोगों की सेवा करना ही लक्ष्य
अपना घर के पदाधिकारी विष्णु महेरे कहते हैं कि अपना घर सेवा संस्थान का एक ही लक्ष्य है, वह है हर परेशान व्यक्ति की सहायता करना, जिसे लेकर लगातार संस्थान आगे बढ़ती चली जा रही है। बाड़ी में भी इसका विशाल रूप देखने को मिल रहा है।
साल 2000 हजार में डॉ. दंपती ने 6 कमरों में ‘अपना घर’ की शुरुआत की थी, जो आज बढ़कर देश-विदेश में फैल चुका है।