नहीं मिला स्टॉक रजिस्टर
निरीक्षण दल को मौके पर कोई भी स्टॉक रजिस्टर नहीं मिला। इससे यह अनुमान लगाया गया कि अनाज की खरीद-फरोख्त और भंडारण की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह भंडारण कालाबाजारी और कर चोरी से जुड़ा हो सकता है। नायब तहसीलदार ने कहा कि ऐसी स्थिति में यह मामला मंडी अधिनियम और आवश्यक वस्तु अधिनियम के उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
लाइसेंस की वैधता पर उठे सवाल
नायब तहसीलदार ने गोदाम मालिक से अनाज भंडारण से संबंधित वैध दस्तावेज मांगे तो उन्होंने कृषि विपणन बोर्ड मंदिर समिति गोरखपुर का लाइसेंस प्रस्तुत किया। लइसेंस 5 जून 2020 को जारी हुआ था, जिसकी वैधता 4 जून 2025 तक है, लेकिन अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि केवल वैध लाइसेंस होना पर्याप्त नहीं है। गोदाम में रखे गए स्टॉक रजिस्टर, खरीद-बिक्री की जानकारी, बिल और संबंधित मंडी को रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होता है।
मंडी समिति को सूचित करने की सिफारिश
तहसीलदार द्वारा मौके पर तैयार की गई पंचनामा रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि गोदाम में पाई गई है। उपज की मात्रा और मूल्यांकन संबंधी जांच के लिए कृषि उपज मंडी समिति गोरखपुर को सूचित किया जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि मंडी समिति को इस गोदाम के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे भविष्य में इस प्रकार की अनियमितता पर रोक लगाई जा सके। नायब तहसीलदार शैलेश गौर ने कहा हमारी प्राथमिकता है कि मंडी व्यवस्था पारदर्शी और कानूनी दायरे में रहे। बिना स्टॉक रजिस्टर और उचित अनुमति के इतना अधिक अनाज रखना नियमों का उल्लंघन है। हमने पूरा पंचनामा तैयार कर लिया है और मंडी समिति को सूचित कर दिया है। आगे की कार्रवाई मंडी समिति के माध्यम से की जाएगी।