चार मॉडल पर किया जा रहा है विचार
सीबीएसई की इस योजना के तहत छात्रों के पास फरवरी और मई महीने में से किसी एक का चुनाव करने की आजादी होगी। साथ ही छात्रों को विषय चुनने की भी छूट होगी। इस सप्ताह की शुरुआत में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अगुवाई में हुई चर्चा के बाद, बोर्ड ने चार तौर-तरीकों पर विचार किया: सेमेस्टर-आधारित परीक्षा, मॉड्यूलर परीक्षा, दो-परीक्षा प्रारूप और मांग-आधारित परीक्षा।
विषय चुनने की छूट
मिली जानकारी के अनुसार, बोर्ड साल में दो बार सभी विषयों की परीक्षा आयोजित कर सकता है। पहली परीक्षा फरवरी में होगी और दूसरी बार मई में आयोजित की जाएगी। अभ्यर्थियों को दोनों परीक्षाओं में शामिल होने और अपनी इच्छानुसार विषय चुनने की छूट मिलेगी। यदि कोई किसी विशेष विषय के लिए अपने फरवरी परीक्षा के स्कोर से संतुष्ट है तो वह दूसरी परीक्षा से बाहर हो सकता है। सीबीएसई बोर्ड की सर्टिफिकेट पर दोनों परीक्षा में से किसी एक में प्राप्त सर्वोत्म अंक को दर्शाया जाएगा।
सीबीएसई अपने क्षेत्रीय कार्यालय का करेगा विस्तार
सीबीएसई से संबद्ध रखने वाले कुल 25 प्रतिशत संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 7,800 स्कूल 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में भाग लेते हैं। यदि साल में दो बार परीक्षा कराई जाती है तो प्रश्न पत्र वितरण, परीक्षा प्रशासन और कॉपी मूल्यांकन को लेकर कई सारी चुनौतियां सामने आ सकती हैं। साल में दो बार परीक्षा कराने के लिए सीबीएसई अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के विस्तार की योजना बना रहा है।