बच्चों की संख्या कम हो गई है
केंद्रीय विद्यालय के कर्मचारी संगठनों ने स्कूल बंद किए जाने का विरोध किया है। इन कर्मचारियों का कहना है कि कि कई वर्ष से संस्थान में खाली पदों पर भर्तियां नहीं हुई थी। यही कारण है कि बच्चों की संख्या कम हो गई थी। लेकिन दो वर्ष के भीतर संस्थान के कई कैडर में ढ़ाई हजार कर्मियों की भर्तियां की गई हैं। ऐसे में बच्चों की संख्या भी बढ़ती।
11वीं कक्षा में नए दाखिले पर लगी रोक
नए दाखिले बंद होने से कक्षा एक और 11 में नए बच्चों के दाखिले नहीं होंगे। नर्सरी स्कूल और केवी में 10 वीं पास होने वाले छात्र और छात्राओं के आगे पढ़ाई का संकट आ गया है। अभिभावकों की चिंताएं बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि उन्हें और उनके बच्चों को अब स्कूल के लिए संघर्ष करना पड़ेगा जबकि स्कूल प्रशासन का कहना है कि बच्चे किसी दूसरे केंद्रीय विद्यालय में दाखिला ले सकेंगे।
नया एडमिशन रोकने का आदेश
एसजीपीजीआई के निदेशक ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय में संस्थान के स्टाफ के बच्चों की संख्या 10 से कम है। दोनों स्कूलों के शिक्षक व कर्मियों के वेतन समेत भवन के रख रखाव में हर वर्ष सात करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं। ऑडिटर ने ऑडिट मेंज्यादा खर्च पर आपत्ति जताई है। साथ ही नया एडमिशन रोकने का आदेश दिया गया। इस कारण दाखिलों पर रोक लगाई गई है। एसजीपीजीआई के स्टाफ के लिए खुला था ये विद्यालय
एसजीपीजीआई की स्थापना के बाद संस्थान के डॉक्टर और अन्य स्टाफ के बच्चों की पढ़ाई के लिये परिसर में केंद्रीय विद्यालय और नर्सरी स्कूल की स्थापना की गई थी। यहां पहला सत्र वर्ष 1987-88 में शुरू हुआ था। स्कूल में शिक्षकों के वेतन से लेकर भवन आदि का खर्च पीजीआई उठा रहा है। इन दोनों स्कूलों में पीजीआई स्टाफ के अलावा बाहर के सेना व दूसरे केंद्रीय सुरक्षा बल के अलावा अन्य के 712 बच्चे पढ़ रहे हैं। इनमें पीजीआई स्टाफ के बच्चों की संख्या बमुश्किल 150 होगी। बाकी के बच्चे संस्थान के बाहर से पढ़ने आते हैं। संस्थान प्रशासन के निर्देश पर स्कूलों ने नए दाखिले पर रोक लगा दी है। ऑडिट में दोनों स्कूलों में सालाना करीब सात करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है। इसका भुगतान पीजीआई कर रहा है।