बता दें कि गोशाला में मवेशियों की मौत के आंकड़े को लेकर विवाद शुरू से रहा है। गांव में सक्रिय हिंदू संगठन के सदस्यों की ही मानें तो एक महीने के भीतर कम से कम 40 गायों की मौत हुई। इनकी लाशों को पैरी नदी के घाट और गोशाला के आसपास खाली जमीनों में ठिकाने लगाया गया।
पिछले दो-ढाई साल से एनजीओ द्वारा इस
गोशाला का संचालन किया जा रहा था। इसके संचालक और संयोजक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनसे पहले गोशाला का संचालन कोपरा ग्राम एवं कृषि विकास समिति के जिमे था। बताते हैं कि संस्था के काम करते हुए गोशाला में तकरीबन 600 गायों को अलग-अलग जगह से लाकर रखा गया था।
प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में महज 19 मवेशियाें की मौत का जिक्र करते हुए गोशाला में 150 मवेशी मिलने की बात कही है। हिंदू संगठनों के साथ गांव के लोग सवाल उठा रहे हैं कि गोशाला में दो-ढाई साल में लाई गई बाकी गायों को कहां ले जाया गया? इसकी भी जानकारी सार्वजनिक की जाए। प्रशासन पर मौत के आंकड़े छिपाने के आरोप हैं। इन मौतों को लेकर गोशाला संचालक, संयोजक के साथ अफसरों पर भी गंभीर लापरवाही के आरोप हैं। ऐसे में कांग्रेस की जांच टीम इन तमाम बिंदुओं पर जांच करेगी।