जॉइनिंग के लिए जब जिला मुख्यालय पहुंचे तो पता चला कि जिस स्कूल में पढ़ाना था, उसका अस्तित्व ही नहीं है। ऐसे में इंग्लिश के इन शिक्षकों से अब हिंदी में पढ़ाई करवाई जा रही है। पत्रिका के पास ऐसे 5 शिक्षकों की जानकारी है। कुल मिलाकर चंद अफसरों ने आदिवासी जिले में एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की सरकारी कवायदों पर पानी फेर दिया।
CG Govt School: फर्जीवाड़ा…
CG Govt School: मैनपुर में पिछली भाजपा सरकार ने प्रदेशभर में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलवाए थे। इनमें गरियाबंद के भी 5 प्राइमररी और 5 मिडिल स्कूल को शामिल किया गया। 2019 में भर्ती निकली। चुनाव हुए। सरकार बदली। 2020 में लॉकडाउन हुआ। इसी बीच कॉन्ग्रेस सरकार स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम प्रोजेक्ट लेकर आई। राज्य के दूसरे जिलों में इग्नाइट छोड़कर नए स्कूलों को इस योजना में शामिल किया गया।
गरियाबंद में अफसरों ने अपनी मनमर्जी चलाते हुए 5 इग्नाइट स्कूलों को स्वामी आत्मानंद स्कूल में मर्ज कर दिया। 5 वापस हिंदी माध्यम में तब्दील कर दिए गए। इधर, न तो लोक शिक्षण संचालनालय को इसकी जानकारी दी गई। न ही स्कूल शिक्षा विभाग को कुछ बताया गया। यही वजह रही कि
शिक्षा विभाग ने 2021 में बंद हो चुके इग्नाइट स्कूल की 2022 में भर्ती कर ली। गुरुजी जब काम करने जिले में पहुंचे तो समस्या आई कि इन्हें नौकरी कहां दें? आनन-फानन में उन्हें हिंदी मीडियम स्कूलों में तैनात किया गया।
पिछले आदेशों को देखें तो लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) को प्रदेश में अब भी कुल 305
इग्नाइट स्कूल चलने की जानकारी है। जबकि, गरियाबंद के 10 स्कूल बंद होने के बाद इनकी संया घटकर 295 हो जानी थी। संभव है कि सरकार अब भी यहां शिक्षकों को यही जानकर हर महीने तनवाह दे रही हो कि वे बच्चों को इंग्लिश सीखा रहे हैं, जबकि हकीकत में हिंदी में पढ़ा रहे हैं।
शिक्षा सजीव गरियाबंद पहुंचे
पत्रिका में ‘शिक्षा विभाग का उल्टा चश्मा’ सीरिज की 2 किस्तें छपने के बाद शुक्रवार को प्रदेश के शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी गरियाबंद जिले के दौरे पर पहुंचे। अलग-अलग स्कूलों में जाकर
पढ़ाई-लिखाई का हाल जाना। उन्हें भी यहां शिक्षा बुरे हाल में मिली। बच्चे छोड़िए, शिक्षकों के भी ज्ञान का स्तर इतना कमजोर है कि मिडिल स्कूल की टीचर दीपा साहू और कविता साहू सचिव के चंद आसान सवालों के जवाब नहीं दे पाईं। स्कूल में साफ-सफाई नहीं रखने पर भी वे परदेशी खूब नाराज हुए और दोनों को जमकर फटकारा।
इसके बाद परदेशी मालगांव मिडिल स्कूल गए। यहां भी पढ़ाई का घटिया स्तर देखकर भड़क उठे। ऐसे में शिक्षा विभाग के संभागीय संयुक्त संचालक राकेश कुमार पांडेय ने मालगांव संकुल समन्वयक भूपेंद्र सिंह ठाकुर और बारूका के प्रिंसिपल ललित साहू को जिमेदार मानते हुए
सस्पेंड कर दिया है। वहीं, दीपा और कविता साहू से भी जवाब मांगा है। इस दौरान कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल, डीईओ एके सारस्वत, डीएमसी केसी नायक मौजूद रहे।
10 इग्नाइट स्कूलों में से 5 को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में तब्दील किया गया है। 3 अन्य स्कूल भी इन्हीं में अपग्रेड किए गए। 2 स्कूल ऐसे हैं, जहां अब हिंदी में पढ़ाई हो रही है। इस फैसले के बारे में मुझे पूरी जानकारी नहीं है क्योंकि मामला 3-4 साल पुराना है। और जानकारी जुटाकर कुछ बता पाऊंगा। ए.के. सारस्वत, डीईओ, गरियाबंद
गुणवत्ता बढ़ानी थी, पैसे नाश्ता पार्टी पर खर्च
इग्नाइट स्कूलों को लेकर अफसरों पर आर्थिक
घोटाले के भी आरोप हैं। इस बारे में डीपीआई से एक शिकायत भी की गई है। इसमें बताया गया कि समिति से प्रस्ताव पास कराए बिना प्राइमरी और मिडिल इग्नाइट स्कूलों के वित्तीय प्रभार उनके प्रधानपाठकों से छीनकर आत्मानंद स्कूलों के प्राचार्यों को सौंप दिए गए। जबकि, शासन ने ऐसा आदेश ही नहीं था।
रेकॉर्ड पंजी से पता चलता है कि
आत्मानंद स्कूल के मामूली प्रचार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को छोड़ दें, तो बहुत से पैसे स्वागत-समान और नाश्ता पार्टी में खर्च हुए। इग्नाइट स्कूलों के फंड में आर्थिक अनियमितता को लेकर तत्कालीन डीएमसी श्याम चंद्राकर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
गोलमाल है… 10 शिक्षकों में 6 की जानकारी दी
शिक्षा विभाग ने
गरियाबंद जिले के 5 मिडिल इग्नाइट स्कूल में 10 शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। आरटीआई लगाकर जब इन शिक्षकों के पद स्थापना की जानकारी मांगी गई, तो जिला शिक्षा विभाग ने महज 6 शिक्षकों की ही जानकारी साझा की। इनमें से 5 अभी हिंदी मीडियम स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
एक को
स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में पदस्थ किया गया है। विभाग ने 4 शिक्षकों की जानकारी साझा नहीं की है। यह भी साफ नहीं किया कि इन पदों पर भर्ती हुई भी है या नहीं? अगर हुई है तो वे लोग कौन हैं और अभी कहां पदस्थ हैं!