मामले की पड़ताल में पता चला कि
आंधी-तूफान में गिरे पेड़ों का हवाला देकर सैकड़ों पेड़ों की कटाई की गई। नर्सरी में बची ठूंठें साफ इशारा कर रही हैं कि पेड़ हरे-भरे थे। इन्हें काटा गया है। मामले में जिम्मेदार नगर पंचायत ने अभी मंगलवार को ही पौधरोपण का आयोजन किया था। पूर्व जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू की मौजूदगी में नगर पंचायत अध्यक्ष रूपनारायण साहू, उपाध्यक्ष तारिणी सेन, मंडल अध्यक्ष गोपी ध्रुव, सोमप्रकाश साहू और लकड़ी बेचने वाले भाजपा पार्षद थानेश्वर साहू समेत कई और प्रतिनिधियों ने मां के नाम पर पौधे लगाकर उनकी देखभाल की शपथ ली। कार्यक्रम में पर्यावरण संतुलन की बात कही। पौधारोपण को जरूरी बताया गया। ठीक उसी वक्त नर्सरी में पेड़ काटे जा रहे थे। मामला सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है।
नर्सरी की लकड़ियों करी नीलामी के लिए पहले पंचायत में प्रस्ताव लाया जाना था। इस बारे में जब सीएमओ श्यामलाल वर्मा से बात की गई तो उन्होंने ऐसा कोई प्रस्ताव पारित नहीं होने की बात कही। वहीं, नगर पंचायत अध्यक्ष रूपनारायण साहू का कहना था कि सूखे पेड़ों की कटाई को लेकर प्रस्ताव लाया गया था। दोनों बयान में अंतर है।
बता दें कि 10 साल पहले सामाजिक वानिकी विभाग ने पैरी नदी के किनारे कटाव रोकने और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से नर्सरी बनाई थी। बाद में इसे नगर पंचायत को हैंडओवर कर दिया गया। अब वही नर्सरी गुपचुप तंत्र के जरिए धन उगाही का साधन बन रही है।
कटाई सूखे पेड़ों की ही हुई है। सारी लकड़ी गोशाला में रखी गई है। मजदूरों को तात्कालिक भुगतान के लिए एक ट्रैक्टर लकड़ी गलती से बेच दी।