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Holi 2025: डीएम की अनोखी पहल 51 स्थानों पर गोबर के उपलों से जलेगी होली, जाने इसकी वजह

Holi 2025 : गोंडा जिले में डीएम नेहा शर्मा ने इस बार एक अनोखी पहल की शुरुआत की है। पर्यावरण संरक्षण की ओर एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रशासन ने जिले के 16 विकासखंड के 51 स्थानों पर गोबर के उपलों से होली जलेगी।

गोंडाMar 12, 2025 / 06:13 pm

Mahendra Tiwari

Holi 2025

डीएम नेहा शर्मा

Holi 2025: गोंडा जिले में होली पर्व को अधिक पर्यावरण-अनुकूल और परंपरागत रूप से समृद्ध बनाने के लिए डीएम नेहा शर्मा ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत होलिका दहन के लिए लकड़ी की जगह गोवंश आश्रय स्थलों में तैयार गोबर के उपलों (कंडों) और गोबर लॉग (गोकास्ट) का उपयोग किया जाएगा।
Holi 2025: जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि होली पर अधिक से अधिक गोबर से बने उत्पादों का उपयोग सुनिश्चित किया जाए। इससे लकड़ी की कटाई कम होगी, प्रदूषण नियंत्रित रहेगा और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

गौशालाओं को मिलेगा आर्थिक संबल

इस योजना के तहत जिले के गोवंश आश्रय स्थलों में स्वयं सहायता समूहों की मदद से गोबर लॉग और उपले तैयार किए जाएंगे। इससे गौशालाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वहां रह रहे असहाय गोवंश के भरण-पोषण में सहायता मिलेगी।

लकड़ी की तुलना में 20 प्रतिशत रहेगा सस्ता

डीएम ने होलिका दहन समितियों को गोबर से बने उपले खरीदने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन उत्पादों की बिक्री गौशालाओं, स्वयं सहायता समूह बिक्री केंद्रों, कृषि, डेयरी और खादी ग्रामोद्योग विभाग के आउटलेट्स से की जाएगी। शासन ने गोबर लॉग की कीमत 5 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की है। जो लकड़ी की तुलना में 20 प्रतिशत सस्ता होगा।

जिलेभर में अभियान, विभिन्न विभागों की सहभागिता


होली के अवसर पर इस योजना को सफल बनाने के लिए पशुपालन, राजस्व, पंचायतीराज, नगर विकास, ग्राम्य विकास और गृह विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। जिला प्रशासन ने गोंडा के विभिन्न ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चिन्हित स्थलों पर गोबर से बनी सामग्री से होलिका दहन कराने की योजना बनाई है।

पर्यावरण संरक्षण में मदद

परंपरागत रूप से होलिका दहन में बड़ी मात्रा में लकड़ी का उपयोग होता है, जिससे वृक्षों की कटाई और वायु प्रदूषण बढ़ता है। इस पहल से न केवल पेड़ों की अंधाधुंध कटाई रुकेगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। गोबर से बने उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक और जैविक होते हैं, जिससे प्रदूषण भी कम होगा।
डीएम नेहा शर्मा ने जिलेवासियों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक गोबर से बने उपलों और गोबर लॉग का उपयोग करें। इससे न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि जिले की गौशालाओं को भी आर्थिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा,हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी परंपराएं संरक्षित रहें और साथ ही प्रकृति का संतुलन भी बना रहे। होली में गोबर से बने उत्पादों के उपयोग से यह दोनों लक्ष्य पूरे हो सकते हैं।
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गोंडा जिले के विभिन्न क्षेत्रों में होगा प्रयोग

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. शशि कुमार शर्मा ने बताया कि जनपद के सभी 16 ब्लॉकों में 51 स्थानों पर गोबर के उपलों से होलिका दहन कराने की व्यवस्था की गई है।
1 झंझरी: हारीपुर, लक्ष्मणपुर हरिवंश, चकसड़, गोविंदपारा, बिरवा बभनी।
2 पंडरी कृपाल: खम्हरिया हरिवंश, उकरा, खरहटिया।
3 रुपईडीह: कोचवा, हरचंदपुर, पचरन, खरगूपुर।
4 इटियाथोक: नरौरा भर्रापुर, कंचनपुर (सझवल), अर्जुनपुर, रानीपुर, विशुनपुर माफी, विशुनपुर संगम।
5 तरबगंज: सोनबरसा, परियांवा, जमथा।
  1. बेलसर: बदलेपुर, सेमरीकला, पकवानगांव।
  2. नवाबगंज: महादेवा, शाहपुर, बहदुरा।
  3. वजीरगंज अनभुला, चंदहा, गेड़सर।
    9.मनकापुर बैरीपुर रामनाथ, तामापार, पंडितपुर
  4. छपिया नरैचा, तेन्दुआ रानीपुर, तालागंज ग्रांट।
    11 बभनजोत सिंगारघाट, केशवनगर ग्रांट, अलाउद्दीनपुर, दौलतपुर ग्रांट।
    12 कर्नलगंज: मोहम्मदपुर गढ़वार, उल्लाह।
    13 कटरा बाजार: छपरत्तला, शाहजोत, राजगढ़ अमीनपुर।
    14 हलधरमऊ: पहाड़ापुर, मैजापुर।
    15 मुजेहना: महेशभारी, पूरेनवल पहड़वा।
  5. परसपुर: सालपुर पाठक, खरगूपुर।

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