क्या होती है लाइट मेट्रो?
लाइट मेट्रो का स्टेशन किसी बस स्टैंड की तरह होता है। इसका कॉरिडोर जमीन पर होता है, वो भी सड़क के सामानांतर। इस मेट्रो में मात्र 3-4 कोच होते हैं, जिसमें करीब 300 यात्री सफर कर सकते हैं। इस मेट्रो के स्टेशन साइज में छोटे होते हैं। लाइट मेट्रो का उपयोग दुनिया के कई शहरों में हो रहा है, जिनमें गोरखपुर,
प्रयागराज और वाराणसी भी शामिल हैं।
केंद्रीय बजट ने दिए 3123 लाख करोड़ रुपए
केंद्रीय बजट में उत्तर प्रदेश में मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए 3123 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं, जिसकी वजह से लखनऊ के दूसरे चरण की परियोजना को गति मिलेगी। इसके साथ ही प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, और मेरठ में लाइट मेट्रो रेल चलाने की राह खुलेगी। हालांकि, बजट का मोटा हिस्सा कानपुर और आगरा में पहले से संचालित मेट्रो परियोजनाओं पर खर्च होगा, लेकिन कुछ राशि लखनऊ के साथ-साथ प्रयागराज,
वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, और मेरठ के लिए प्रस्तावित लाइट मेट्रो परियोजना के लिए भी खर्च किए जाएंगे।
गोरखपुर में लाइट मेट्रो के लिए 2 रूट तय
गोरखपुर में लाइट मेट्रो के लिए करीब 4600 करोड़ का बजट निर्धारित है। इसमें दो रूट तय किए गए हैं। 15.14 किमी का पहला रूट श्याम नगर से एमएमएमयूटी तक है। इसमें श्याम नगर, बरगदवां, शास्त्री नगर, नथमलपुर, गोरखनाथ मंदिर, हजारीपुर, धर्मशाला, रेलवे स्टेशन, यूनिवर्सिटी, मोहद्दीपुर, रामगढ़ ताल, एम्स, एमएमएमयूटी के बीच में 14 स्टेशन प्रस्तावित हैं।
दूसरे रूट के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज से नौसड़ चौराहे तक की दूरी तय की गई है। इस रूट पर 12.70 किलोमीटर में बीआरडी , मोगलहा, खजांची बाजार, बशारतपुर, अशोक नगर, वैष्णो नगर, असुरन चौक, धर्मशाला, गोलघर, कचहरी चौराहा, बेतियाहाता और ट्रांसपोर्ट नगर नगर होते हुए नौसड़ तक 13 स्टेशन प्रस्तावित हैं।