केंद्र सरकार ने स्मार्ट पीडीएस सिस्टम लागू कराने के लिए जैसे ही उपभोक्ताओं की ईकेवायसी कराई तो पूरी गड़बड़ी सामने आ गई। इसके बाद अब ऐसे लोगों के नाम उड़ाए जा रहे हैं, जिनका निधन हो चुका है, लेकिन उनके परिवार के सदस्य इनके नाम से राशन ले रहे थे। इस तरह एक साल में एक करोड़ से अधिक की चपत शासन को लग रही थी। अगर पिछले पांच साल की स्थिति देखे तो तीन से चार करोड़ रुपए का नुकसान सरकार को उठाना पड़ा है।
इस तरह पकड़ी गई पूरी गड़बड़ी
दरअसल केंद्र सरकार ने पीडीएस सिस्टम को ऑनलाइन करने को लेकर स्मार्ट राशन व्यवस्था लागू की है। इसके तहत जिले के प्रत्येक वह व्यक्ति जिसके नाम से राशन जारी होता है, उसकी बायोमैट्रिक ईकेवायसी होनी है। यह प्रक्रिया जिले में पिछले दो साल से चल रही है। इस दौरान जिला आपूर्ति विभाग का अमला, पंचायत के कर्मचारी और मैदानी अमला जांच कर रहा है। परिवार के यहां पहुंचकर जब सभी सदस्यों की जानकारी ली जाती है तो पता चलता है कि कई लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन किसी ने भी पात्रता पर्ची से नाम नहीं कटवाया है। इस वजह से राशन जारी होता रहा। हालांकि जिले में दिवंगत 4989 लोगों के नाम से राशन जारी होता रहा। यह स्थिति लंबे समय से चल रही है। मृतकों की संख्या हर साल बढ़ती गई, लेकिन पात्रता पर्ची से नहीं घटी। इसलिए इन सभी के नाम अब उड़ा दिए गए हैं।शहर से लेकर गांव तक फैला है जंजाल
शहर के वार्ड क्रमांक आठ में कला बाई, लक्ष्मण की डेढ़ साल पहले ही मौत हो चुकी है। लेकिन इनके नाम से राशन जारी हो रहा था। इसी तरह मारकीमहू बाली बाई, पिंकी का भी निधन हो चुका है, लेकिन परिवार के लोग राशन ले रहे थे। वहीं बमोरी के डोगरी में प्रेमा, करोला में प्रताप के नाम से भी राशन जारी होता रहा, जबकि इनका निधन काफी समय पहले हो चुका है।फर्जीवाड़े का पूरा गणित
गरीब कल्याण योजना के तहत जिले भर में 2 लाख 17 हजार परिवारों को मुत अनाज दिया जाता है। इन परिवारों में सदस्य संया 9 लाख 50 हजार है। इस तरह प्रत्येक सदस्य के नाम पर दो किलो गेहूं और तीन किलो चावल दिए जाते हैं। वहीं एक रुपए किलो नमक दिया जाता है। शासन द्वारा प्रत्येक सदस्य को 30 रुपए किलो कीमत का गेहूं और 40 रुपए किलो कीमत का चावल मुत दिया जाता है। इस तरह एक सदस्य पर प्रतिमाह 170 रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन जिले में 4989 सदस्यों जो मृत हो चुके हैं, उनके नाम पर भी राशन जारी हुआ। इस तरह इन मृत सदस्यों के राशन पर शासन ने हर माह 8.43 लाख रुपए खर्च किए। अगर साल का आंकड़ा देखें तो यह एक करोड़ से अधिक पर पहुंच जाता है। इस तरह यह गड़बड़ी पिछले तीन से चार साल से चल रही है।केंद्र सरकार का स्मार्ट पीडीएस सिस्टम लागू होने वाला है, इस दौरान हर परिवार के सदस्यों की ईकेवायसी कराई जा रही है। इसी दौरान पता चला है कि दिवंगत लोगों के नाम से भी परिवार के लोगों ने राशन ले लिया है। अब इनके नाम काटे जा रहे हैं। वहीं लोगों से अपील की गई है कि वह अपनी पात्रता पर्ची को दुरुस्त कराएं।- अवधेश पांडे, जिला आपूर्ति अधिकारी