हरियाणा के पलवल जिले से जुड़ा है मामला
पूरा मामला हरियाणा के जिला पलवल का है। पलवल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. जय भगवान को गुरुग्राम एसीबी ने गिरफ्तार किया है। दरअसल, गुरुग्राम एसीबी के पास एक अस्पताल संचालक ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें अस्पताल संचालक मनोहर ने बताया था कि वह अपने दो पार्टनरों धीरज और सुभाष के साथ पलवल में अपना निजी अस्पताल चलाता है। आरोपी सीएमओ डॉ. जय भगवान अस्पताल को बंद करने की धमकी देकर 15 लाख रुपये की मांग कर रहा है। पीड़ित अस्पताल संचालक ने सीएमओ को दो बार में सात लाख रुपये भी दिए। इसके बाद सीएमओ बाकी बचे आठ लाख रुपये देने का दबाव बना रहा था। इस दौरान उसके कामकाज में खामियां बताकर अस्पताल बंद कराने की धमकी दे रहा था।
एसीबी के जाल में कैसे फंसे पलवल सीएमओ?
अस्पताल संचालक मनोहर की शिकायत के बाद गुरुग्राम एसीबी ने अपना जाल बिछाया। योजना के तहत गुरुवार को एसीबी ने मनोहर को केमिकल लगे एक लाख रुपये देकर सीएमओ के पास भेजा। रात करीब 11 बजे सीएमओ ने रुपये के साथ मनोहर को अपने सरकारी आवास पर बुलाया। जहां पैसे लेते ही एसीबी टीम ने उसे धर दबोचा। इस दौरान एसीबी टीम ने आरोपी सीएमओ डॉ. जय भगवान के घर की तलाशी ली तो एक अलमारी में 500-500 रुपये के बंडलों में तीन लाख रुपये बरामद हुए। इस नकदी के बारे में पूछने पर सीएमओ डॉ. जयभगवान एसीबी टीम को संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। जिसके बाद एसीबी टीम ने रुपये समेत सीएमओ को हिरासत में लिया है।
मुआवजा दिलाने के नाम पर रुपये मांगने में दो गिरफ्तार
एक दूसरे मामले में गुरुग्राम पुलिस ने दीन दयाल योजना के तहत सरकारी मुआवजे की रकम दिलाने के नाम पर पीड़ित से 15 प्रतिशत कमीशन मांगने में दो युवकों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान 32 साल के विकास और 48 साल के महेंद्र कुमार के रूप में हुई है। विकास को हरियाणा के रेवाड़ी से और महेंद्र को गुरुग्राम के हैलीमंडी से गिरफ्तार किया गया है। शनिवार को पुलिस ने आरोपियों को अदालत में पेश किया। अदालत ने उन्हें पूछताछ के लिए तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है। आगे की जांच जारी है
दीनदयाल योजना के तहत रुपये दिलाने में मांगा कमीशन
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में गुरुग्राम निवासी एक परिवार के मुखिया की मौत हो गई थी। इसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर परिवारिक सदस्यों ने दीन दयाल योजना के तहत सरकारी मुआवजे के लिए आवेदन किया था। इस योजना के तहत बीपीएल कार्डधारी मृतक आश्रित परिवार को सरकार की ओर से पांच लाख रुपये तक की राशि दी जाती है। पीड़ित परिवार ने पुलिस को बताया कि उसके आवेदन पर राशि स्वीकार हो गई, लेकिन मृतक की पत्नी और बेटियों का संयुक्त खाता नहीं होने के चलते उनके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर नहीं हुए।
रकम दिलाने के नाम पर मांगी मोटी रकम
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पीड़ित परिवार ने बताया कि 14 जून को एक व्यक्ति ने मृतक की पत्नी को फोन किया। उसने 30 प्रतिशत यानी डेढ़ लाख रुपये कमीशन मांगते हुए 15 दिनों में स्वीकृत राशि उसके खाते में ट्रांसफर कराने की बात कही। इसकी जानकारी होने पर मृतक के भाई ने जमालपुर पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद आरोपी से पटौदी में पीड़ित परिवार की मुलाकात हुई। जहां वह अपने एक साथी के साथ आया था। पीड़ित परिवार की निशानदेही पर सब-इंस्पेक्टर अमित कुमार के नेतृत्व में गठित टीम ने विकास और महेंद्र को गिरफ्तार किया।
आरोपी विकास का लंबा है आपराधिक रिकॉर्ड
शुरुआती जांच में पता चला कि महेंद्र पटौदी में पैथोलॉजी लैब चलाता है। जबकि दोनों व्यक्ति एक आरओ वाटर प्यूरीफायर कंपनी का प्रचार भी कर रहे थे। उन्होंने करीब 15 ऐसी वारदातों को अंजाम देने की बात कबूल की। पुलिस ने बताया कि दोनों ने कथित तौर पर कॉमन सर्विस सेंटर से लंबित सरकारी मुआवजे वाले व्यक्तियों की सूची हासिल की और फंड जारी करने के लिए कमीशन की मांग की। पुलिस ने बताया कि विकास का रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिलों में चोरी और एटीएम धोखाधड़ी के छह मामलों में पहले से आपराधिक रिकॉर्ड है। गुड़गांव पुलिस ने आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन और एक मारुति ब्रेजा गाड़ी बरामद की है।