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गुडगाँव

एनसीआर के तीन बिल्डरों पर ईडी का शिकंजा, 550 करोड़ की संपत्ति कुर्क, धोखाधड़ी-जालसाजी में कार्रवाई

Action: दिल्ली से सटे गुरुग्राम में ईडी ने तीन बिल्डरों की संपत्ति अस्‍थायी रूप से कुर्क कर दी है। इस संपत्तियों की कीमत तकरीबन 550 करोड़ रुपये बताई गई है। ईडी ने यह कार्रवाई धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में की है।

गुडगाँवJun 28, 2025 / 04:43 pm

Vishnu Bajpai

Action: एनसीआर के तीन बिल्डरों पर ईडी का शिकंजा, 550 करोड़ की संपत्ति कुर्क, धोखाधड़ी-जालसाजी में कार्रवाई
Action: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत एनसीआर में बड़ी कार्रवाई की है। इसके तहत दिल्ली से सटे गुरुग्राम में तीन बिल्डरों की करीब 557.43 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है। यह कार्रवाई 27 जून को की गई, लेकिन ईडी ने सार्वजनिक तौर पर इसकी जानकारी शनिवार को सोशल मीडिया के माध्यम से दी है।
ईडी की इस कार्रवाई में चल और अचल दोनों प्रकार की संपत्तियां शामिल हैं। एजेंसी ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया है कि यह संपत्तियां माहिरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड जो पहले मेसर्स साईं आइना फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी, मेसर्स माहिरा बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स जार बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ी हुई हैं। इन सभी कंपनियों पर धोखाधड़ी और जालसाजी के गंभीर आरोप हैं। जिसके चलते ईडी ने यह कार्रवाई की है।

प्रीमियम रियल एस्टेट क्षेत्र में आती हैं अचल संपत्तियां

ईडी सूत्रों का कहना है कि कुर्क की गई अचल संपत्तियां गुरुग्राम के प्रमुख क्षेत्रों में स्थित हैं। इनमें सेक्टर 68, सेक्टर 63ए, सेक्टर 103, सेक्टर 104, सेक्टर 92, सेक्टर 88बी और सेक्टर 95 में फैली हुई कुल 35 एकड़ की आवासीय और वाणिज्यिक भूमि शामिल है। ये इलाके गुरुग्राम के प्रीमियम रियल एस्टेट बाजार में आते हैं और इनकी बाज़ार कीमत सैकड़ों करोड़ रुपये आंकी जाती है।
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चल संपत्तियों में 97 लाख की एफडीआर जब्त

इसके अलावा एजेंसी ने संबंधित कंपनियों की कुल 97 लाख रुपये की सावधि जमा रसीदें (Fixed Deposit Receipts – FDRs) भी जब्त की हैं। ईडी के मुताबिक, इन संपत्तियों की अस्थायी कुर्की इसलिए की गई है। ताकि जांच के दौरान आरोपी संपत्ति को न बेच सकें और न हटा सकें।
ईडी का कहना है कि इन कंपनियों पर आर्थिक धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का आरोप है, जिसमें निवेशकों और खरीदारों को गुमराह कर करोड़ों रुपये की उगाही की गई। इस पैसे को बाद में अन्य परियोजनाओं और संपत्तियों में लगाया गया, जो मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आता है।

जांच जारी, आगे और खुलासे संभव

प्रवर्तन निदेशालय ने इस पूरे मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है और संभावना जताई जा रही है कि आगे चलकर और भी कंपनियों व संपत्तियों का खुलासा हो सकता है। ईडी के अधिकारियों के अनुसार दस्तावेजी साक्ष्य और वित्तीय लेन-देन के विवरण खंगाले जा रहे हैं। जिनके आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी।

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