ग्वालियर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने कहा कि पति-पत्नी के बीच की क्रियाएं बलात्कार की श्रेणी में नहीं आती हैं। इसलिए धारा 377 का मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने धारा 498 ए, 294, 506 के प्रकरण में विचारण के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां भेज दिया।
अधिवक्ता अजय द्विवेदी ने बताया कि पड़ाव महिला थाने में पत्नी ने दहेज प्रताड़ना, मारपीट व धारा 377 के तहत पति पर केस दर्ज कराया था। पुलिस ने जांच कर न्यायालय में चालान पेश किया। इस मामले में पति पर आरोप तय किए जाने थे।
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अधिवक्ता द्विवेदी ने तर्क दिया कि पत्नी-पत्नी के संबंधों को सीमाओं में नहीं बांध सकते हैं। अभियोजन ने विरोध करते हुए कहा कि पत्नी ने जो आरोप लगाए हैं, उसके पर्याप्त साक्ष्य हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पति को धारा 377 के आरोप से मुक्त कर दिया।