मूर्तिकार ने बताई पूरी कहानी
इसकी पत्रिका ने पड़ताल की तो मूर्तिकार अनुज राय का कहना है कि प्रतिमा लगाने के समर्थक वकीलों ने प्रतिमा भेजने के लिए कहा था। इसके लिए फोन भी आए थे। इस कारण प्रतिमा भेज दी। प्रतिमा बनाने का पैसा वकीलों ने दिया है। हाईकोर्ट से प्रतिमा के लिए एक बार फोन आया था। बुधवार की सुबह डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा हाईकोर्ट के गेट पर पहुंच गई। इस प्रतिमा की जानकारी बार के पदाधिकारियों को लगी तो वह मौके पर पहुंच गए। ट्रक के साथ क्रेन भी पहुंची। प्रतिमा को उतारने के लिए ट्रक के साथ क्रेन भी पूरे दिन खड़ी रही। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारी व प्रतिमा लगाने के समर्थक वकील आमने सामने आ गए। पक्षकारों के प्रवेश द्वार पर हंगामा खड़ा हो गया। रात आठ बजे चीफ जस्टिस से चर्चा के बाद विवाद थमा। प्रतिमा को प्रशासन व पुलिस अधिकारियों की निगरानी में मूर्तिकार के पास भेजा गया। आगामी निर्णय तक प्रतिमा मूर्तिकार के पास रहेगी।
चंदा कर लायी गई है प्रतिमा- वकील
प्रतिमा के समर्थक अधिवक्ता प्रतिमा राय सिंह बौद्ध ने बताया कि सरकारी फंड से नहीं लगाया जा रहा है। इसके लिए अधिवक्ता व आम लोगों ने चंदा दिया गया। प्रतिमा का पेडस्टल तैयार हुआ तो हाईकोर्ट बार के पदाधिकारी विरोध में आ गए। दूसरा धड़ा समर्थन में। इसके लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। जब वकीलों ने प्रतिमा का विरोध किया तो रजिस्ट्रार ने एक आदेश निकाला कि संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा सुप्रीम कोर्ट में स्थापित हो चुकी है। इसलिए कुछ अधिवक्ताओं के विरोध को नजर अंदाज किया जाना चाहिए। प्रतिमा का काम पूरा किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट में बिना आधार कार्ड के कोई अंदर नहीं जा सकता है। प्रतिमा कैसे पहुंचती। अफवाह उड़ाई जा रही है। हाईकोर्ट में लगने वाली प्रतिमा को हम कैसे लेकर पहुंच सकते हैं। मुझे जब जानकारी मिली तो मौके पर पहुंचा था।