हाईकोर्ट में यह याचिका शिवकुमार शर्मा ने दायर की है। उन्होंने कहा कि विधायक की जमीन को हाईवे पर लगाने के लिए उसका रास्ता बदल दिया। इसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की जमीन पर हाईवे के निर्माण पर रोक लगा दी। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से पूछा है कि दो अधिसूचनाएं क्यों जारी की गईं।
शिवकुमार शर्मा की ओर से अधिवक्ता गौरव मिश्रा ने कोर्ट में तर्क दिया कि ग्वालियर से भिंड के बीच नए हाईवे का निर्माण किया जा रहा है। पहली अधिसूचना जारी की गई, तब याचिकाकर्ता की जमीन हाईवे में नहीं जा रही थी, लेकिन दोबारा अधिसूचना जारी की गई तो उनकी जमीन हाईवे में चली गई।
भिंड के तत्कालीन विधायक के दबाव में ऐसा किया गया। विधायक की जमीन को हाईवे पर लाया गया है। इसकी एक रिपोर्ट भी है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि विधायक के दबाव में ऐेसा किया गया है। अधिसूचना बदली गई। अधिवक्ता के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की जमीन पर निर्माण पर रोक लगा दी है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से 24 मार्च तक जवाब मांगा है।