दरअसल, पूरा मामला ग्राम जिरेना का बताया जा रहा है। यहां पर पटवारी को आदेश में लिखी गई भाषा से शुरु हुआ था। आदेश में प्रकरण क्रमांक 0216/ बी 121/24-25 की जांच जब आरसीएमएस पोर्टल से की गई, तो उसमें प्रताप सिंह और गब्बर सिंह का नाम नहीं था। बल्कि मैसर्स आधुनिक डेवलपर्स भागीदार फर्म जरें राजेंद्र सेठ का नाम लिखा था।
इस आदेश को 31 दिसंबर 2024 को पारित किया जा चुका था। कलेक्टर के रीडर गोयल के द्वारा पुलिस को जानकारी दी गई कि यह फर्जी आदेश है। इसमें ऐसी भाषा का प्रयोग किया गया है। जो कि न्यायालीन कार्यों में प्रयोग नहीं की जाती है। फर्जी आदेश में 20 दिसंबर ऊपर और नीचे 25 दिसंबर 2024 तारीख लिखी थी। इसके आधार पर पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है।
कलेक्टर के साइन वाला फर्जी पत्र जांच के लिए भेजा
हालांकि, कलेक्टर के रीडर लोकेश गोयल द्वारा फर्जी हस्ताक्षर वाला पत्र जांच के लिए सौंपा है। जिसमें आदेश के वायरल होने का जिक्र भी किया गया है। पुलिस ने मामला भी मामला दर्ज कर लिया है। रीडर ने बताया कि सरकारी जमीन को हड़पने के लिए प्रताप सिंह, गब्बर सिंह पुत्र मूलचंद माहौर ने कई अन्य लोगों से सांठगांठ कर न्यायालयीन प्रकरण का जिक्र भी फर्जी आदेश में किया गया है।