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सीखने की कोई उम्र नहीं होती…71 साल के जयपुर के ताराचंद अंकल बने सीए, युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्त्रोत

सीखने की कोई उम्र नहीं होती, इसे सच कर दिखाया है राजस्थान में संगरिया के मूल और जयपुर निवासी 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने। सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी अग्रवाल ने चार दशक बाद अध्ययन की राह पकड़ते हुए सीए की फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण की है।

हनुमानगढ़Jul 09, 2025 / 07:38 am

anand yadav

71 वर्षीय अंकल ताराचंद अग्रवाल बने सीए, पत्रिका फोटो

71 वर्षीय अंकल ताराचंद अग्रवाल बने सीए, पत्रिका फोटो

कृष्ण करवा

संगरिया (हनुमानगढ़). सीखने की कोई उम्र नहीं होती, इसे सच कर दिखाया है राजस्थान में संगरिया के मूल और जयपुर निवासी 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने। सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी अग्रवाल ने चार दशक बाद अध्ययन की राह पकड़ते हुए सीए की फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण की है। उनकी यह सफलता अब समाज के उस युवा वर्ग के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई है जो लक्ष्य हासिल नहीं होने पर भ्रमित होकर गलत राह चुन रहे हैं।

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सोशल मीडिया से बनाई दूरी

भारतीय स्टेट बैंक के अजमेर अंचल से सहायक महाप्रबंधक पद से 2014 में सेवानिवृत्त अग्रवाल ने 2022 में सीए इंटर का एक ग्रुप, 2023 में दूसरा और जुलाई 2025 में फाइनल परीक्षा के दोनों ग्रुप पास कर यह उपलब्धि हासिल की। परिणाम आने के साथ ही उनकी तस्वीरें 71 वर्षीय अंकल बने सीए शीर्षक से सोशल मीडिया पर छा गई। वे 1999 में संगरिया से जयपुर शिफ्ट हो गए थे। उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए सोशल मीडिया से दूरी बना ली थी।
आइसीएआइ इंस्टीट्यूट, जयपुर ब्रांच, फोटो आइसीएआइ जयपुर

परिवार भी उच्च शिक्षित

संगरिया में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले अग्रवाल ने 1980 में स्नातक पूर्ण किया। उन्होंने कोरोना काल में पत्नी दर्शना अग्रवाल के निधन के बाद उन्होंने खुद को पढ़ाई में झोंक दिया। उनका पूरा परिवार शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा है। बेटा सीए, पोतियां सीए की तैयारी में, बेटी-दामाद मुंबई में उच्च पदों पर कार्यरत हैं।

युवाओं के बने प्रेरणा स्त्रोत

ताराचंद अग्रवाल ने सीए की परीक्षा पास कर एक नया इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही वे उन युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं जो कई बार प्रयास करने के बाद भी उपने लक्ष्य को हासिल करने में असफल होकर गलत राह चुन रहे हैं। ताराचंद अग्रवाल एक ऐसे उदाहरण है जो अपना लक्ष्य निर्धारित कर सफलता की सीढ़ी पर चढ़े हैं। निश्चित रूप से अग्रवाल की यह सफलता हताश हो रहे युवा वर्ग के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा।

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