स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डाइटीशियनों ने इस पहल की सराहना
इसका उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि जो स्वाद वे खाते हैं, उसके पीछे कितनी स्वास्थ्य हानि छिपी हो सकती है। यह कोई पाबंदी नहीं, बल्कि सेहत को लेकर जागरूकता फैलाने की मुहिम है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डाइटीशियनों ने इस पहल की सराहना की है, और इसे भविष्य में होने वाले स्वास्थ्य संकट से बचाव की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
अब समोसे-जलेबी पर भी होगी ‘सिगरेट जैसी’ चेतावनी
जहां पहले सिर्फ तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी बोर्ड दिखते थे, अब कैंटीनों में भी समोसे और जलेबी के पास स्वास्थ्य चेतावनी दिखाई देगी। इस चेतावनी में यह बताया जाएगा कि इन खाद्य वस्तुओं में कितनी मात्रा में ट्रांस फैट और शुगर है।
ऑयल एंड शुगर बोर्ड
कैंटीनों में लगाया जाने वाला ‘ऑयल एंड शुगर बोर्ड’ दरअसल एक तरह का फूड लेबलिंग सिस्टम होगा, जिससे खाने वालों को यह जानने में मदद मिलेगी कि वे क्या खा रहे हैं और उसमें कितना नुकसानदायक तत्त्व है। बच्चों में बढ़ते मोटापे पर लगाम लगाने की पहल
स्वास्थ्य रिपोर्टों के अनुसार भारत में बच्चों में
मोटापे की दर खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है। जंक फूड से यह समस्या और बढ़ रही है। इस कदम से माता-पिता और युवा दोनों को अपने खान-पान के बारे में सोचने का मौका मिलेगा।
जंक फूड क्यों है आपकी सेहत के लिए ‘स्लो पॉइजन’
डॉक्टर्स का मानना है कि ट्रांस फैट और एक्स्ट्रा शुगर शरीर में धीरे-धीरे ऐसे असर डालते हैं जैसे धूम्रपान करता है। मोटापा, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और डायबिटीज़ जैसी बीमारियाँ इनसे जुड़ी हुई हैं।
2050 तक भारत बन सकता है मोटापे का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र
एक अनुमान के अनुसार 2050 तक 44.9 करोड़ भारतीय मोटापे की चपेट में आ सकते हैं। यह आंकड़ा भारत को दुनिया में टोंगा के बाद दूसरा सबसे मोटापा प्रभावित देश बना सकता है, अगर समय रहते जागरूकता नहीं फैलाई गई।