Perimenopause में स्वस्थ और दर्दमुक्त रहने के लिए अपनाएं ये 5 असरदार योगासन
पादहस्तासन
सीधे खड़े रहे, सांस भरते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं, हथेलियां सामने कि ओर रहे, फिर सांस छोड़ते हुए कमर से आगे झुकें, घुटने सीधे रखते हुए नाक को घुटने से लगाने का प्रयास करें। इस अभ्यास को 3-4 बार दोहराएं।व्रजासन
दोनों घुटने मोडक़र पंजों की कुर्सी बनाकर उस पर बैठे, दांए पैर का अंगूठा बांए पैर के अंगूठे पर रखें, कमर सीधी रखें।मंडूकासन
व्रजासन में बैठे फिर बांई हथेली को नाभी पर रखें, उसके ऊपर दांई हथेली रखें, दोनों हथेलियों को नाभी पर दबाते हुए आगे की ओर झुकें। ललाट को जमीन पर लगाने का प्रयास करें। सांस को बाहर निकालते हुए आगे झुकें, सांस भरते हुए पुन: अपने स्थान पर आएं। ३-४ बार करें।शंशांकासन
व्रजासन की स्थिति में बैठें फिर दोनों हाथों को कानों से स्पर्श करते हुए सिर के ऊपर सीधा रखें, फिर सांस बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें, ललाट को जमीन पर टिका दें, हाथों को सीधा जमीन पर रखें। सामान्य सांस रखते हुए विश्राम स्थिति में रहेे। ५ मिनट रूक सकते हैं। इससे मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।भद्रासन
इसे तितली आसन भी कहते हैं। सामान्य अवस्था में बैठकर दोनों पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर दोनों हाथों की कैंची बनाकर पंजों को पकड़े, फिर हाथों को सीधा रखते हुए खिंचाव दें और घुटनों को जमीन से सटाने का प्रयास करें।इन आसानों के साथ दीर्घश्सास प्राणायाम, अनुलोम-प्राणायाम एवं भ्रामरी प्राणायाम से विशेष लाभ प्राप्त होगा। प्राणायाम से पूर्व कपाल भाति क्रिया २ मिनट करें। इससे अनियमित मासिक धर्म में लाभ प्राप्त होगा।