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Perimenopause की शुरुआत हो गई है तो करें ये योगासन, मिलेगी घुटनों एवं कमर दर्द से राहत

Yoga for menopause relief : प्रीमेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो मेनोपॉज से पहले कई वर्षों तक चल सकती है। इस दौरान शरीर में हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण अनियमित मासिक धर्म, थकान, जोड़ों में दर्द, मूड स्विंग्स और नींद की समस्या जैसी कई चुनौतियाँ सामने आती हैं।

भारतMar 06, 2025 / 02:41 pm

Manoj Kumar

Perimenopause

Perimenopause

Perimenopause yoga poses : प्रीमेनोपॉज की स्टेज सामान्यतया मेनोपॉज से कई साल पहले शुरू हो जाती है, लेकिन हर महिला के लिए इसका समय और यह कितने समय तक रहेगा अलग-अलग होता है। यह 4-8 वर्ष भी हो सकता है। प्रीमेनोपॉज (Perimenopause) के दौरान हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव शुरू हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अनियमित मासिक धर्म, नींद की कमी, आलस्य, थकान, जोड़ों में दर्द, योनि में सूखापन, मूड में बदलाव, रात को पसीना आना, बालों का पतला होना, बार-बार पेशाब आना जैसे विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं।
यह एक क्रमिक प्रक्रिया है, जो कई वर्षों तक चल सकती है। अपने जीवन के इस नए अध्याय की शुरुआत करना, जहां आपका प्रजनन वर्ष समाप्त हो रहा है, यह भावनात्मक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
योग के माध्यम से प्रीमेनोपॉज लक्षणों (Premenopause symptoms) को कम करने मदद मिलती है। हालांकि यह सीधे तौर पर हार्मोनल परिवर्तनों को नियंत्रित नहीं करता है, लेकिन योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभ प्रदान करता है, जिससे प्रीमेनोपॉज में होने वाली समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है।

Perimenopause में स्वस्थ और दर्दमुक्त रहने के लिए अपनाएं ये 5 असरदार योगासन

पादहस्तासन

सीधे खड़े रहे, सांस भरते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं, हथेलियां सामने कि ओर रहे, फिर सांस छोड़ते हुए कमर से आगे झुकें, घुटने सीधे रखते हुए नाक को घुटने से लगाने का प्रयास करें। इस अभ्यास को 3-4 बार दोहराएं।
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व्रजासन

दोनों घुटने मोडक़र पंजों की कुर्सी बनाकर उस पर बैठे, दांए पैर का अंगूठा बांए पैर के अंगूठे पर रखें, कमर सीधी रखें।

मंडूकासन

व्रजासन में बैठे फिर बांई हथेली को नाभी पर रखें, उसके ऊपर दांई हथेली रखें, दोनों हथेलियों को नाभी पर दबाते हुए आगे की ओर झुकें। ललाट को जमीन पर लगाने का प्रयास करें। सांस को बाहर निकालते हुए आगे झुकें, सांस भरते हुए पुन: अपने स्थान पर आएं। ३-४ बार करें।

शंशांकासन

व्रजासन की स्थिति में बैठें फिर दोनों हाथों को कानों से स्पर्श करते हुए सिर के ऊपर सीधा रखें, फिर सांस बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें, ललाट को जमीन पर टिका दें, हाथों को सीधा जमीन पर रखें। सामान्य सांस रखते हुए विश्राम स्थिति में रहेे। ५ मिनट रूक सकते हैं। इससे मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

भद्रासन

इसे तितली आसन भी कहते हैं। सामान्य अवस्था में बैठकर दोनों पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर दोनों हाथों की कैंची बनाकर पंजों को पकड़े, फिर हाथों को सीधा रखते हुए खिंचाव दें और घुटनों को जमीन से सटाने का प्रयास करें।
इन आसानों के साथ दीर्घश्सास प्राणायाम, अनुलोम-प्राणायाम एवं भ्रामरी प्राणायाम से विशेष लाभ प्राप्त होगा। प्राणायाम से पूर्व कपाल भाति क्रिया २ मिनट करें। इससे अनियमित मासिक धर्म में लाभ प्राप्त होगा।

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