कहा पाई जाती है जटामांसी Where is Jatamansi found?
जटामांसी का वैज्ञानिक नाम नार्डोस्टैचिस जटामांसी (Nardostachys Jatamansi) है। यह मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है और इसकी जड़ औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसे आयुर्वेद में मानसिक शांति, तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने और कई रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।जटामांसी और बालों की देखभाल Jatamansi and hair care
आजकल बाल झड़ने, असमय सफेद होने और पतले होने की समस्या आम हो गई है। जटामांसी का तेल बालों के लिए वरदान की तरह काम करता है।बालों को काला और घना बनाता है।
बालों का झड़ना कम करता है।
नई बालों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
मानसिक शांति और तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव Effects on mental peace and nervous system
जटामांसी को “नेचुरल स्ट्रेस रिलीवर” कहा जाता है। यह तनाव, अवसाद और मानसिक अशांति को दूर करने में सहायक होती है।– अनिद्रा की समस्या में फायदेमंद।
– भूलने की बीमारी (अल्जाइमर) में लाभकारी।
– मिर्गी और बेहोशी के दौरे को कम करता है।
पाचन और हृदय स्वास्थ्य में लाभकारी Beneficial for digestion and heart health
– यदि आपका पाचन कमजोर है या अपच की समस्या रहती है, तो जटामांसी का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है।– पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है।
– रक्तचाप को नियंत्रित रखती है।
– हृदय की धड़कन को संतुलित करती है।
त्वचा और श्वसन तंत्र के लिए गुणकारी Beneficial for skin and respiratory system
– त्वचा के रोगों में राहत देती है।– जटामांसी का तेल लगाने से त्वचा मुलायम और स्वस्थ रहती है।
– सांस संबंधी रोगों (अस्थमा, ब्रोंकाइटिस) में उपयोगी।
बुखार और शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने में सहायक Helpful in controlling fever and body heat
– बुखार में शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।– मस्तिष्क को ठंडक पहुंचाता है।
– तनाव से राहत देता है और सिर दर्द को कम करता है।
जटामांसी का सेवन कैसे करें? How to consume Spikenard?
– जटामांसी पाउडर: एक चम्मच शहद या गुनगुने पानी के साथ लें।– जटामांसी तेल: बालों और त्वचा पर हल्के हाथों से मालिश करें।
– काढ़ा: पाचन और तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने के लिए दिन में एक बार पी सकते हैं।