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हुबली

महाराणा प्रताप के जीवन मूल्यों, उनके त्याग, साहस और राष्ट्रभक्ति से नई पीढ़ी को अवगत कराने की जरूरत

महाराणा प्रताप एक महान योद्धा और कुशल शासक थे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और अनेक कठिनाइयों का सामना किया। इतनी तकलीफें और संघर्ष होने के बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वे हमेशा अपने लोगों और अपनी मातृभूमि के सम्मान के लिए संघर्ष करते रहे। राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली एवं राजस्थान राजपूत समाज संघ हुब्बल्ली के संयुक्त तत्वावधान में महाराणा प्रताप जयंती महोत्सव पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने यह बात कही।

हुबलीMay 28, 2025 / 07:55 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

महाराणा प्रताप जयंती महोत्सव पर हुब्बल्ली में आयोजित संगोष्ठी में महाराणा प्रताप की तस्वीर के समक्ष पुष्प अर्पित किए गए।

महाराणा प्रताप जयंती महोत्सव पर हुब्बल्ली में आयोजित संगोष्ठी में महाराणा प्रताप की तस्वीर के समक्ष पुष्प अर्पित किए गए।

किया वीरता का बखान
हुब्बल्ली के उल्लागडी ओनी स्थित महावीर प्लाजा में आयोजित संगोष्ठी में महाराणा प्रताप के जीवन मूल्यों से सीख लेने एवं उनकी वीरता का बखान किया गया। वक्ताओं ने कहा कि आज भी वे भारत के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और उनकी वीरता और स्वाभिमान के किस्से सदा आने वाली पीढिय़ों को देशभक्ति के लिए प्रेरित करती रहेंगी। राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली के संपादकीय प्रभारी अशोक सिंह राजपुरोहित ने संगोष्ठी का संयोजन किया।
अद्वितीय संघर्षों और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता
राजस्थान राजपूत समाज संघ हुब्बल्ली के अध्यक्ष पर्बतसिंह खींची वरिया ने कहा, भारतीय इतिहास में वीरता और स्वाभिमान की अमर गाथाएं गढऩे वाले अनेक वीर योद्धा हुए हैं। उनमें से महाराणा प्रताप एक थे। महाराणा प्रताप वे बहादुर योद्धा थे जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर के आगे कभी घुटने नहीं टेके। आज भी उन्हें स्वाभिमान, संकल्प और देशभक्ति का मजबूत स्तम्भ माना जाता है। महाराणा प्रताप वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ आने वाली पीढिय़ों को भी देशभक्ति के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने के किए प्रेरित करते रहेंगे। महाराणा प्रताप के जीवन मूल्यों, उनके त्याग, साहस और राष्ट्रभक्ति से नई पीढ़ी को अवगत कराया जाना चाहिए। महाराणा प्रताप के अद्वितीय संघर्षों और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। महाराणा प्रताप में बहुत सी विशेषताएं थीं। वे बेहद वीर और स्वाभिमानी थे। इसके अलावा उनकी कूटनीति और गुरिल्ला युद्ध क्षमता कमाल की थी।
विश्व के सबसे महान योद्धाओं में से एक
राजस्थान राजपूत समाज संघ हुब्बल्ली के पूर्व कोषाध्यक्ष खेतसिंह राठौड़ सांडन ने कहा, महाराणा प्रताप को भारत ही नहीं वरन विश्व के सबसे महान योद्धाओं में से एक माना जाता है। वे मेवाड़ के शासक थे जिन्होंने अपने स्वाभिमान की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। वर्ष 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने अंग्रेजों से लोहा लिया था। 19 वर्षों तक अकबर से गुरिल्ला युद्ध लड़ा। इस दौरान वह अपना राज पाठ छोड़कर जंगल में भी रहे। कहा जाता है कि उन्होंने घास की बनी रोटी तक खाई थी लेकिन उन्होंने अपने स्वाभिमान को बचाए रखने के लिए अकबर के सामने कभी सिर नहीं झुकाया। महाराणा प्रताप के पास अकबर ने कई बार संधि प्रस्ताव का सन्देश भी भेजा लेकिन उन्होंने हर बार अकबर को निराश ही किया और उसके खिलाफ युद्ध जारी रखा।
नहीं झुके अकबर के सामने
राजस्थान राजपूत समाज संघ हुब्बल्ली के सह सचिव रिड़मलसिंह सोलंकी सिवाना ने कहा, महाराणा प्रताप का जन्म 16वीं शताब्दी में सन 1540 में राजस्थान के मेवाड़ में एक राजपूत राजपरिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराजा प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंताबाई था। महाराणा प्रताप के पास अकबर ने उसकी दासता स्वीकार करने के बदले में उन्हें उनका राज वापस करने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन महाराणा प्रताप ने अकबर के सामने झुकने से मना कर दिया। राज पाठ छिन जाने के बाद महाराणा प्रताप ने अपने परिवार के साथ जंगल में रहकर अकबर के खिलाफ युद्ध जारी रखा। इसी प्रकार अपने राज्य के लिए संघर्ष करते हुए महाराणा प्रताप ने वर्ष 1597 में दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ दिया।
समस्त भारतवासियों के लिए प्रेरणास्रोत
हुब्बल्ली प्रवासी किशनसिंह भाटी झिनझिनयाली ने कहा, महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कभी भी सम्मान और स्वतंत्रता के लिए समझौता नहीं किया। हल्दीघाटी का युद्ध इसका जीवंत प्रमाण है, जहां उन्होंने मुगलों की विशाल सेना का डटकर सामना किया। उनका जीवन आज भी उन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है, जो सच्चाई और स्वाभिमान के पथ पर चलना चाहते हैं। महाराणा प्रताप मात्र एक राजपूत राजा नहीं, बल्कि समस्त भारतवासियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनकी कहानी हर भारतीय के मन में देशभक्ति की अलख जगाती है।
प्रजा की भलाई के लिए अनेक कार्य
हुब्बल्ली प्रवासी राजूसिंह खींची कुसीप ने कहा, एक शासक के रूप में महाराणा प्रताप ने अपनी प्रजा की भलाई के लिए अनेक कार्य किए थे। उन्होंने कुंंभलगढ़ के किले का जीर्णोद्धार कराया था। उन्होंने जनजातीय समुदाय को पूरा सम्मान दिया और उनके साथ अपने सबंध मजबूत किए। उन्होंने प्रजा की भलाई के लिए अपने राज्य की कृषि व्यवस्था, व्यापार तंत्र और कला को विशेष रूप से प्रोत्साहन दिया था। अपने राज्य के लिए संघर्ष करते हुए और अपनी स्वाभिमान की रक्षा करते हुए राजस्थान के चावंड नामक स्थान पर महान शासक महाराणा प्रताप का निधन हो गया।
दृढ़ संकल्प उनकी वीरता का प्रमाण
हुब्बल्ली प्रवासी भवानी सिंह राठौड़ डंडाली ने कहा, हल्दीघाटी के युद्ध में हार के बाद महाराणा प्रताप ने अपने परिवार के साथ जंगल में शरण ली। वहां उन्होंने भूखे प्यासे रहकर समय व्यतीत किया। उन्होंने ऐसे हालातों में भी संघर्ष करना जारी रखा और अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाते रहे। उन्होंने सैनिकों को गुरिल्ला युद्ध की नीति सिखाई और अकबर से लोहा लिया। महाराणा प्रताप का संघर्ष और दृढ़ संकल्प उनकी वीरता का प्रमाण है। यह हमें सिखाता है कि चाहे परिस्थियां कितनी भी विपरीत क्यों न हों, हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने लक्ष्य के लिए कोशिश करते रहनी चाहिए और उसे प्राप्त करके ही रुकना चाहिए।

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