इंदौर के वार्ड-27 से पहली बार चुनाव लड़े जीतू ने नामांकन पत्र में अपना नाम जीतेंद्र कुमार देवतवार बताया। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित इस वार्ड से चुनाव लड़ने के लिए जरूरी जाति प्रमाण-पत्र भी इसके साथ लगाया था।
तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजेश राठौड़ द्वारा 19 अक्टूबर 2020 को जीतू का यह प्रमाण पत्र जारी किया गया। इसमें जीतू का पूरा नाम जीतेंद्र कुमार देवतवार दर्ज है। जाति जाटव दर्शाई गई है। वहीं भाजपा द्वारा जारी प्रत्याशियों की सूची में नाम जीतेंद्र यादव था।
खास बात यह है कि नगर निगम रिकॉर्ड में कहीं भी असल नाम जीतेंद्र देवतवार दर्ज नहीं है। सभी जगह उसका नाम जीतेंद्र यादव ही लिखा है। यहां तक कि भाजपा से निष्कासन के बाद महापौर ने उसे हटाने को जो आदेश जारी किया, उसमें भी जीतू यादव ही लिखा है।
जीतू यादव ने 2022 में हुए चुनाव में मतदाताओं की आंखों में भी धूल झोंकी। उसने नामांकन जीतेंद्र देवतवार के नाम से भरा, पर चुनाव खुद को जीतू यादव बताकर लड़ा। पूरे चुनाव प्रचार में देवतवार कहीं भी नहीं दर्शाया। यहां तक कि भाजपा पार्षदों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के दौरान भी उसने जीतेंद्र यादव के नाम से ही शपथ ली थी।
हो सकती कार्रवाई
अभिभाषक अभिनव धानोतकर के अनुसार जीतू यादव ने यदि सही सरनेम रिकॉर्ड में छिपाया है तो ये कदाचरण की श्रेणी में आता है। संभागायुक्त इस पर कार्रवाई कर सकते हैं। साथ ही कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग को भी मामला भेज सकते हैं।