9 साल पहले PWD ने 40 करोड़ से बनाया था इमली ब्रिज
करीब 9 वर्ष पहले पीडब्ल्यूडी ने लगभग 40 करोड़ में तीन इमली ब्रिज बनाया था। निर्माण के वक्त ही ब्रिज का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ तो एजेंसी ने एक तरफ रिटेनिंग वॉल बना दी, लेकिन दूसरी तरफ इसका निर्माण नहीं किया। नतीजा सामने है कि मूसाखेड़ी से तीन इमली बस स्टैंड की तरफ ढलान वाले हिस्से में ब्रिज का 8 इंच हिस्सा धंस गया और भराव की हुई मिट्टी ने जगह छोड़ दी। ब्रिज के नीचे मिट्टी सेटल होने से करीब 1 फीट गड्ढा हो गया। इंजीनियरिंग कॉलेज एसजीएसआइटीएस की जांच कमेटी ने करीब एक साल पहले मरमत की सिफारिश की, लेकिन नगर निगम और पीडब्ल्यूडी तय नहीं कर पा रहे हैं कि इसकी मरमत कौन और कब करेगा? ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट जज के लिए इंदौर के हिमांशु जोशी और बहरावत को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की मंजूरी सुरक्षा दीवार नीचे, हवा में झूल रही रेलिंग
मूसाखेड़ी से तीन इमली की तरफ जाने वाले रास्ते पर ब्रिज की ढलान वाला हिस्सा करीब आठ इंच धंस (ड्रिट) गया है। यहां एक बड़ा गड्ढा भी हुआ है। ब्रिज के कोने पर दीवार और उसके ऊपर लगी रेलिंग में भी कई इंच गैप है। ब्रिज का हिस्सा धंसने से वहां की सुरक्षा दीवार नीचे चली गई और उसके ऊपर लगी रेलिंग हवा में झूल रही है।
ब्रिज का स्ट्रक्चर बनाने के लिए मिट्टी और अन्य मेटेरियल से किए गए भराव ने भी जगह छोड़नी शुरू कर दी है। निर्माण के वक्त भी एक हिस्सा झुक गया था। उस वक्त एजेंसी ने बस स्टैंड की तरफ रिटेनिंग वॉल का निर्माण नहीं किया, जिससे ब्रिज के आर्म और मिट्टी जगह छोड़ रही है। ब्रिज की स्ट्रक्चरल मरमत और अन्य काम करवाने की सिफारिश करीब एक साल पहले एसजीएसआइटीएस की कमेटी ने की थी, पीडब्ल्यूडी ने मरमत कराने से पल्ला झाड़ लिया।
मालूम हो, मूसाखेड़ी पर अभी ब्रिज निर्माण होने से बड़े वाहनों का आवागमन नहीं हो रहा है। यदि हैवी ट्रैफिक शुरू होता है तो बड़े हादसे की आशंका है। इसकी चेतावनी भी जांच कमेटी ने अलग-अलग एजेंसियों को दी थी, लेकिन तय नहीं हो पा रहा है कि इस ब्रिज की मरमत कौन करेगा?
दो विभागों के बीच सिर्फ चिट्ठी का खेल
अगस्त-सितंबर 2024 में
इंदौर नगर निगम की ब्रिज सेल के प्रभारी ने पीडब्ल्यूडी के अफसरों को चिट्ठी लिखकर मरमत को कहा तो पीडब्ल्यूडी ने उलटा बोल दिया कि वे ब्रिज को कई साल पहले निगम को हैंडओवर कर चुके हैं। निगम अफसरों का दावा है, पीडब्ल्यूडी से रिकॉर्ड में कुछ नहीं मिला है।
आइआरसी के मानकों पर दी रिपोर्ट
ब्रिज का एक हिस्सा जब सेटल हुआ तो निगम ने एसजीएसआइटीएस से जांच रिपोर्ट मांगी थी। एसजीएसआइटीएस की कमेटी ने इंडियन रोड कांग्रेस (आइआरसी) के पांच मानकों पर जांच कर करीब 20 पेज की रिपोर्ट तैयार की। जांच में पाया गया कि इस ब्रिज की डिजाइन में गड़बड़ी है। रिटेनिंग वॉल का निर्माण नहीं करने और पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से ब्रिज के नीचे की मिट्टी धंस रही है। ब्रिज पर क्रेक भी मिले।
बारिश में बढ़ा जान का खतरा
यह स्थिति बारिश में अत्यधिक खतरनाक हो सकती है। कमेटी ने कहा था कि मौजूदा हालत में ब्रिज खतरनाक तो नहीं है, लेकिन उपयोग उचित नहीं है, क्योंकि आइआरसी के अनुसार पब्लिक सेटी के लिए किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है। आशंका है कि धीरे- धीरे ब्रिज कमजोर हो सकता है।
रिपोर्ट का अध्ययन कर जल्द करेंगे काम
अफसरों से जानकारी तलब कर निगम सहित अन्य एक्सपर्ट टीम से परीक्षण कराएंगे। पुरानी जांच रिपोर्ट का भी अध्ययन कर जल्द ही तकनीकी सुधार होगा। आवश्यक हुआ तो भारी वाहनों को कुछ समय डायवर्ट करेंगे।