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जबलपुर

डॉक्टर ने अंग्रेजी कविता में लिखी रामायण, अयोध्या श्रीराम मंदिर म्यूजियम में रखी जाएगी किताब

Ramayana in English: अवधी रामचरितमानस बेटे को समझ नहीं आई, तो जबलपुर के डॉ. अखिलेश गुमाश्ता ने अंग्रेजी में रामायण की कविता लिखी, जो अब श्रीराम मंदिर संग्रहालय में रखी जाएगी।

जबलपुरMay 31, 2025 / 09:05 am

Akash Dewani

Dr Akhilesh Gumasta of Jabalpur wrote a poem of Ramayana in English because his son did not understand Ramcharitmanas

अयोध्या श्रीराम मंदिर म्यूजियम में रखी जाएगी डॉ. अखिलेश गुमाश्ता ने अंग्रेजी में रामायण की कविता किताब (फोटो सोर्स- अखिलेश गुमाश्ता फेसबुक प्रोफाइल)

Ramayana in English: अंग्रेजी मीडियम में पढ़ने वाले बेटे को अवधी में लिखी रामचरितमानस पढ़ने में दिक्कत हुई तो जबलपुर के डॉ. अखिलेश गुमाश्ता ने अंग्रेजी में ही इसकी पोएट्री लिख दी। अब यह बुक अयोध्या के श्रीराम मंदिर संग्रहालय में रखी जाएगी। डॉ. अखिलेश गुमाश्ता की बुक ‘ग्लिम्प्सेस ऑफ रामायण, द हिम्स ऑफ हिमालया’ को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव डॉ. चंपत राय ने इसकी जानकारी पत्र से दी है। देश के 4 संग्रहालयों में यह किताब पहले से है।

शोध आधारित है बुक

डॉ. गुमाश्ता ने ने लंबे समय तक देश के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचलित रामायण पढ़ी। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कविता के रूप में राम कथा लिखी है। इसमे मूल रामायण की कथा के साथ अन्य क्षेत्रीय रामायणों की कथाएं भी शामिल हैं। इसे 7 भाषाओं में अनुवाद किया है। यह अंग्रेजी पोएट्री फॉर्मेंट में है। हिंदी और अवधी न समझने वाले इसे समझ सकते हैं। डॉ. अखिलेश गुमाश्ता (इनसेट में), उनकी बुक ग्लिम्प्सेस ऑफ रामायण, द हिम्स ऑफ हिमालया।
अयोध्या श्रीराम मंदिर म्यूजियम में रखी जाएगी डॉ. अखिलेश गुमाश्ता ने अंग्रेजी में रामायण की कविता किताब (फोटो सोर्स- अखिलेश गुमाश्ता फेसबुक प्रोफाइल)
डॉ. अखिलेश गुमाश्ताडॉ. गुमाश्ता ने ने लंबे समय तक देश के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचलित रामायण पढ़ी। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कविता के रूप में राम कथा लिखी है। इसमे मूल रामायण की कथा के साथ अन्य क्षेत्रीय रामायणों की कथाएं भी शामिल हैं। इसे 7 भाषाओं में अनुवाद किया है। यह अंग्रेजी पोएट्री फॉर्मेंट में है। हिंदी और अवधी न समझने वाले इसे समझ सकते हैं। डॉ. अखिलेश गुमाश्ता (इनसेट में), उनकी बुक ग्लिम्प्सेस ऑफ रामायण, द हिम्स ऑफ हिमालया।
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बचपन रामायण पाठ देखने जाते थे डॉ. गुमाश्ता

डॉ. गुमाश्ता ने कहा, मैंने बचपन से घर में रामचरितमानस का पाठ होते देखा था। मैंने बेटे को सिखाने की कोशिश की तो भाषायी समस्या खड़ी हो गई। बेटा अंग्रेजी मीडियम में पढ़ता है। वह हिंदी-अवधी नहीं समझ रहा था। तब सोचा जिन्हें ये भाषाएं नहीं आती उन्हें रामायण समझ नहीं आएगी। इसलिए किताब लिखी। इसका रशियन, थाई, जर्मन, फ्रेंच, बांग्ला, संस्कृत, इंडोनेशियाई भाषा में अनुवाद हो चुका है।

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ऑक्सफोर्ड विवि के हिन्दू सेंटर ग्रंथालय, मॉरीशस में रामायण सेंटर लाइब्रेरी, अहमदाबाद के मुरारी बापू संग्रहालय, चित्रकूट के संग्रहालय में यह किताब पहले से है। डॉ. गुमाश्ता ने रामचरितमानस रामायण की ३ वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस जबलपुर में कराई, अब 2026 में।

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