इसलिए नियमितीकरण के हकदार हैं। मामले में समय-समय पर अभ्यावेदन दिए गए, आंदोलन किए गए। बावजूद ठोस कदम नहीं उठाया गया। आपत्तिजनक बिंदु यह है कि मांग पूरी करने के स्थान पर समय-समय पर भर्ती नियमों में परिवर्तन कर परेशान किया गया।
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प्राथमिक शिक्षकों का निलंबन आदेश निरस्त
हाईकोर्ट के जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं का निलंबन आदेश अनुचित पाते हुए निरस्त कर दिया। छतरपुर निवासी प्राथमिक शिक्षक हरिदत्त शुक्ला व इंद्र गौतम की ओर से दलील दी गई कि 16 अक्टूबर, 2019 को याचिकाकर्ताओं को एक शिकायत के आधार पर एकपक्षीय तरीके से निलंबित कर दिया गया था। जिस पर कोर्ट ने पूर्व में अंतरिम आदेश के जरिए 3 दिसंबर, 2019 को स्टे दिया था।
निलंबन के विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर लगाई गई रोक लागू है। इस अंतरिम स्थगनादेश के जारी होने से लेकर अब तक याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध विभागीय स्तर पर आरोप पत्र जारी नहीं किया गया। लिहाजा, याचिकाकर्ता अंतरिम रोक के आधार पर अनवरत कार्यरत हैं। हाई कोर्ट ने इस तर्क से सहमत होकर निलंबन आदेश निरस्त कर दिया।