दरअसल, तिवारी को 1996 में विधि अधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्ति मिली थी। 1999 में उन्हें वाणिज्यिक कर विभाग में समायोजित कर दिया गया, लेकिन सरकार ने उन्हें तीन वित्तीय उन्नयन देने से इनकार कर दिया। इस बीच 2021 में तिवारी सेवानिवृत्त हो गए और मामला अदालत में ले गए। तर्क था कि वेतन आयोग द्वारा 1999 में किए गए संशोधन को अफसरों ने वित्तीय उन्नयन बता उन्हें लाभ देने से इनकार किया है।
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हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, यह चौंकाने वाली बात है कि चार वरिष्ठ आइएएस अधिकारी, जिनमें एसीएस (सामान्य प्रशासन), पीएस (वाणिज्यिक कर), सचिव (वित्त) और सचिव (सामान्य प्रशासन) शामिल हैं, उन्हें यह तक नहीं पता कि चौथे वेतन आयोग के तहत 2200-4000 रुपए का वेतनमान पांचवें वेतन आयोग में 8000-13500 में संशोधित किया गया था। यह सिर्फ वेतन संशोधन था, न कि वित्तीय उन्नयन।