mahakumbh 2025 : महाकुंभ अब न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि वैश्विक शोध का भी विषय बन चुका है। हॉवर्ड विवि के साथ आगरा और जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय महाकुंभ के सांस्कृतिक, सामाजिक व आर्थिक सर्वेक्षण का हिस्सा बनेंगे। दो लाख लोगों के डेटा के साथ अध्ययन करेंगे कि यह महाकुंभ किस तरह से देश और दुनिया को प्रभावित कर रहा है। विशेष रूप से क्षेत्रीय स्तर पर और यह विश्वविद्यालय सुनिश्चित करेगा कि महाकुंभ के सामाजिक-आर्थिक लाभों का सही तरीके से आंकलन किया जाए।
यह सर्वेक्षण मुख्य रूप से महाकुंभ के दौरान आने वाले तीर्थ यात्रियों और स्थानीय निवासियों, व्यापारियों पर सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभावों का विश्लेषण पर शामिल है। शोध में यह अध्ययन किया जाएगा कि कुंभ मेला किस प्रकार स्थानीय अर्थव्यवस्था, संस्कृति और समाज पर प्रभाव डालता है, और इसके साथ ही यह भी देखा जाएगा कि विभिन्न सामाजिक समूहों और समुदायों के लिए कुंभ मेला किस प्रकार एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान का माध्यम बनता है।
mahakumbh 2025 : यूनाइटेड नेशन को भेजेंगे डाटा
महाकुंभ के दौरान 2 लाख लोगों का डेटा एकत्रित किया जाएगा। यह डेटा हर सेक्टर से एकत्रित होगा ताकि इसमें सभी तरह की विवधता रहे। इस कुंभ में न केवल देश के विभिन्न हिस्सों से बल्कि विदेशों से भी लोग पहुंच रहे हैं। इसका उद्देश्य इस कुंभ के माध्यम से भारत की धर्म, संस्कृति, वसुधैव कुटुंबकम की छवि को ग्लोबल स्तर प्रदर्शित किया जा सके। यह कार्य हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के माध्यम से किया जाएगा। डेटा यूनाइटेड नेशन को भेजा जाएगा।
mahakumbh 2025 : प्रयागराज महाकुंभ में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक स्तर पर क्या प्रभाव पड़ है इसका अध्ययन कराया जा रहा है। इसपर कुछ विश्वविद्यालयों की मदद से काम किया जा रहा है।