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radiology and X-ray : तकनीक का कमाल
एआई, रोबोटिक्स और 3डी प्रिंटिंग ने रेडियोलॉजी को नेक्सट लेबल पर पहुंचा दिया है। नैनो टेक्नोलॉजी और जेनेटिक्स का उपयोग से मर्ज की सटीक जानकारी मिल रही है। फेफड़े, कैंसर, हृदय रोग, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसी बीमारियों की पहचान में ये तकनीकें कारगर हो रही है। रेडियोलॉजी अब इलाज का आधार बन गई है।radiology and X-ray : पहले डर था, अब भविष्य
कभी रेडिएशन और स्वास्थ्य जोखिमों के कारण युवा रेडियोलॉजी ब्रांच से कतराते थे, लेकिन आज एडवांस तकनीक एमआरआई, सीटी स्कैन, पीईटी व डिजिटल एक्स-रे ने न सिर्फ बीमारी पकडऩा आसान बनाया, बल्कि इसमें सुरक्षित और आकर्षक कैरियर भी बना दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि लेड एप्रिन और रेडिएशन चेक से सुरक्षा मिली।
radiology and X-ray : कैरियर के रास्ते
● एमबीबीएस के बाद एमडी (3 साल)● डिप्लोमा इन मेडिकल रेडियोग्राफी (2 साल)
● अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन जैसे शॉर्ट-टर्म कोर्स में सर्टिफिकेट
radiology and X-ray : मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजी सीट
● रेडियोलॉजी से एमडी 7 सीट● रेडियोग्राफर की 19 सीट
radiology and X-ray : रेडियोलॉजी में पिछले सालों में एडवांसमेंट हुआ है। सीटी स्कैन, एमआरआई, पेट स्कैन, अल्ट्रासाउंड, आईवीयू, आईवीपी, मेमोग्राफी जैसी जांच की सुविधा होने से बीमारी का समय पर पता लगाने में मदद मिल रही जो इलाज में भी मददगार हो रहा है। ऐसे में इस ब्रांच में अवसर बढ़े हैं यही कारण है कि युवा अब रेडियोलॉजी, एक्सरे फील्ड में कैरियर बनाने आगे आ रहे हैं और यह फील्ड उनकी पसंदीदा ब्रांच बनती जा रही है।
- डॉ. अवधेश कुशवाहा, डायरेक्टर, सुपरस्पेशलिटी