CG News: कॉलेज में वित्तीय फर्जीवाड़ा
जानकारी दिए जाने का दबाव जब प्राचार्य पर बढ़ा तो उन्होंने दोनों पूर्व प्राचार्य से दस्तावेज मंगवाए। आरटीआई एक्टिविस्ट शांतनु कर्मकार ने बताया कि कॉलेज में हुए वित्तीय
फर्जीवाड़ा के संबंध में उन्होंने पूर्व में भी दस्तावेजों की मांग की थी। उच्च शिक्षा विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया था। इसके बाद राज्य सूचना आयोग ने तत्कालीन प्राचार्य डॉ. विजयलक्ष्मी मूर्ती को दंड के रूप में 1 लाख 25 हजार रुपए जमा करने कहा था।
सांठ-गांठ के बगैर यह काम करना संभव नहीं
वर्तमान में दोनों तत्कालीन प्राचार्यों ने अपने कार्यभार के कई महीनों बाद वित्तीय दस्तावेजों को अपने घर से लाकर वर्तमान प्राचार्य को सुपुर्द किया गया। कर्मकार ने बताया कि तत्कालीन अधिकारियों ने कैसे शासकीय दस्तावेजों को अपने घर में रखा यह बड़ा सवाल है। यह गैर कानूनी कृत्य भी है। उन्होंने बताया कि कार्यालय के मुय लिपिक कुमार नारायण और सबंधित शाखा के प्रभारी हेमंत पिल्ले से सांठ-गांठ के बगैर यह काम करना संभव नहीं है। कार्यालय से उनके सामने ही दस्तावेज गायब किए गए। आहरण संवितरण का अधिकार नहीं था, फिर भी किया
आरटीआई में जानकारी मिली है कि आहरण संवितरण का अधिकार नही होने के बावजुद प्रभारी प्राचार्य रहते हुए डॉ.के.इंदिरा ने लेनदेन किए हैं। कॉलेज में रजिस्ट्रार की नियुक्ति की गई है लेकिन उन्हें वित्तीय मामलों से दूर रखा गया है। अनुभवी रजिस्ट्रार जो कि राजपत्रित अधिकारी हैं उनसे काम नहीं लिया जा रहा है। प्राचार्य के बाद रजिस्ट्रार ही अधिकृत अधिकारी होते हैं लेकिन उन्हें वित्तीय मामलों से दूर रखा गया है।
मौजूदा प्राचार्य भी दागी कर्मचारी के साथ
कॉलेज के मौजूदा प्राचार्य भी कॉलेज के दागी कर्मचारी हेमंत पिल्ले से वित्तीय कामकाज करवा रहे हैं। पूर्व में पिल्ले पर कई तरह की गड़बडिय़ों में रहने का आरोप लगा है बावजूद उनसे काम लिया जा रहा है। पिल्ले के अलावा कॉलेज में अनुभवी रजिस्ट्रार और कर्मचारी हैं लेकिन उन्हें वित्तीय कामकाज से दूर रखा गया है। ऐसे में फिर से कॉलेज में चल रहे कामों पर सवाल उठ रहे हैं। गोपनीय
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आरटीआई एक्टिविस्ट कर्मकार के मुताबिक उन्होंने 60 आवेदनों के माध्यम से दस्तावेज थे लेकिन कॉलेज के कार्यालय से 24 आवेदनों से सबंधित दस्तावेज कार्यालय में नहीं होने की सूचना उन्हें दी गई है। दस्तावेज गायब होने का मामला बेहद गंभीर है। इसके बावजूद संबंधित अधिकारीयों, मुय लिपिक कुमार नारायण, बिल शाखा प्रभारी हेमंत पिल्ले पर मौजूदा प्राचार्य ने कोई कार्रवाई नहीं की है।