Chandameta Accident: यह है मामला
चांदामेटा के ग्रामीण यातायात सुविधाओं के अभाव में मालवाहक वाहनों का सहारा लेते हैं। 21 दिसंबर को भी ग्रामीणों का एक समूह कोलेंग बाजार जाने के लिए एक मालवाहक वाहन में सवार हुआ। इसी दौरान यह वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें मौके पर ही चार लोगों की मौत हो गई और अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान तीन और लोगों की जान चली गई। इस दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। यातायात सुविधाओं का अभाव
चांदामेटा और आस-पास के ग्रामीण इलाकों में सरकारी यातायात व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को मजबूरी में मालवाहक वाहनों में यात्रा करनी पड़ती है। सालों बाद जब नक्सल गतिविधियां कम हुई हैं, तब जाकर सडक़ों का निर्माण हुआ है। लेकिन अभी भी परिवहन सेवाएं नहीं हैं। ऐसे में ग्रामीणों के पास कोई और विकल्प नहीं बचता। हादसे की मुय वजह भी यही थी। ग्रामीणा का कहना है कि यह हादसा केवल एक सडक़ दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह सरकार की नीतियों और ग्रामीण इलाकों की उपेक्षा का भी उदाहरण है। प्रशासन को चाहिए कि वह अविलंब पीड़ितों की मदद करे और परिवहन सुविधाओं में सुधार लाए ताकि ग्रामीणों को सुरक्षित यात्रा का अधिकार मिले।
कहा: माल वाहक गाड़ी में सफर मजबूरी
श्याम ने कहा यहां न तो बस है, न ऑटो। नक्सलियों का डर कम हुआ, तो कुछ साल पहले सडक़ बनी। अब भी बाजार जाने के लिए मालवाहक गाडिय़ों पर चढऩा पड़ता है। सरकार ने परिवहन व्यवस्था की कभी परवाह नहीं की। मंगलू ने बताया कि बड़े शहरों में रहने वालों के लिए सरकार तुरंत लाखों रुपए के मुआवजे का ऐलान कर देती है लेकिन यहां जिन सात लोगों की मौत अस्पताल में हुई, उनके परिवार को एक रुपया भी नहीं मिला। क्या यह इंसाफ़ है?