JDA इंजीनियर के कई ठिकानों पर एसीबी का छापा, 100 से अधिक जमीनों के मिले दस्तावेज, यहां पर भी किया निवेश
ACB Action on JDA : जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) में पदस्थापित अधीक्षण अभियंता अविनाश शर्मा के सात ठिकानों पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीमों ने छापेमारी की।
जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) में पदस्थापित अधीक्षण अभियंता अविनाश शर्मा के सात ठिकानों पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीमों ने मंगलवार सुबह छापेमारी की। एसीबी ने खुलासा किया कि अधीक्षण अभियंता करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक है। जयपुर में गोपालपुरा मोड़, मानसरोवर, सांगानेर, पृथ्वीराज नगर, जगतपुरा, प्रताप नगर एवं रिंग रोड के आस-पास करीब 25 कॉलोनियों में 100 से अधिक जमीनों को खरीदने और निर्माण करने पर करोड़ों रुपए खर्च करने की जानकारी मिली।
एसीबी के डीजी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि तीन माह पहले ब्यूरो को अधीक्षण अभियंता अविनाश शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने की जानकारी मिली। इसके बाद गोपनीय जानकारी जुटाई गई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ज्ञानप्रकाश नवल के नेतृत्व में ब्यूरो की 13 टीमें मंगलवार तड़के चार बजे जुट गई और करीब तीन घंटे बाद अधीक्षण अभियंता के सभी ठिकानों पर एक साथ दबिश दी। 13 टीमों में से पांच टीम जेडीए में और एक टीम चाकसू नगर पालिका सहित अन्य ठिकानों पर दस्तावेज खंगालने पहुंची।
जेडीए में एसीबी टीम पहुंची तो खलबली मच गई। घर पर सर्च में दो बैंक लॉकर, 13 लाख रुपए नकद मिले। साथ ही 140 ग्राम सोने की ज्वैलरी और 500 ग्राम चांदी के जेवर भी मिले। इसके अलावा 90 लाख रुपए का म्यूचुअल फंड सहित अन्य योजनाओं में 1.34 करोड़ रुपए का निवेश मिला। शर्मा के होटल, रेस्टोरेंट और गोदाम में निवेश की भी जानकारी मिली। राजकीय सेवा में नियुक्त होने से अब तक अधीक्षण अभियंता की ओर से आय से अधिक करीब 6.25 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां अर्जित करना सामने आया, जो उनकी आय से 253 प्रतिशत अधिक है।
समितियों-बिल्डर्स को पहुंचाया लाभ
डीजी मेहरड़ा ने बताया कि अधिकारी शर्मा ने जेडीए में पदस्थापन के दौरान भ्रष्टाचार करते हुए गृह निर्माण समितियों एवं बिल्डर्स को लाभ पहुंचाया। इससे पारितोषण स्वरूप या काफी कम दरों पर भूखंड अर्जित किए। भूखंडों की कीमत खरीद के समय भी करोड़ों रुपए थी। उन्होंने कहा कि अधिकारी शर्मा ने अधिकतर संपत्ति 25 स्कीम/कॉलोनियों में अर्जित की हैं। जेडीए में पदस्थापन रहने के दौरान स्कीम/कॉलोनियों के नियमन एवं उनके विकास के क्रम में डेवलपर को नियमों के विरुद्ध जाकर फायदा पहुंचाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। अभी भी संपत्तियों की जानकारी जुटाई जा रही है।