जयपुर में बारिश के बाद टूटी सड़कों ने खोली प्रशासनिक लापरवाही की पोल, जगह-जगह गड्ढों से परेशान हुए लोग
Rajasthan Rain: जलनिकासी की व्यवस्थाएं भी फेल साबित हो रही हैं। कई जगहों पर तो जेडीए और नगर निगम ने सड़कें खोदकर अधूरी छोड़ दी हैं, जिससे स्थानीय लोगों का आना-जाना बेहद मुश्किल हो गया है।
Jaipur News: सड़कें थीं, कभी देखी थीं… अब तो शहर की गलियों में गड्ढों का ही राज है। कहीं सड़क की परतें उखड़ी हैं, तो कहीं पूरी सड़क ही गायब है। राजधानी जयपुर में तीन हफ्तों की बारिश ने नगर निगम और जेडीए की ’’निर्माण कला’’ का ऐसा नमूना पेश किया है कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में इसे ’क्या न करें’ की केस स्टडी में पढ़ाया जा सकता है। लोग सुबह घर से निकलते हैं तो भगवान से पहले सड़क की सलामती पूछते हैं, ‘हे सड़क देवता, आज बचा लेना!’ हाल यह है कि कुछ कॉलोनियों में लोग रास्ता ढूंढने के लिए अब गूगल मैप्स नहीं, नाव वाले की मदद लेने की सोच रहे हैं।
दरअसल राजधानी में बीते तीन हफ्तों से हुई लगातार बारिश ने शहर की सड़कों की हालत बद से बदतर कर दी है। पानी उतरते ही शहर की सड़कों की असल तस्वीर सामने आ गई…जगह-जगह उधड़ी परतें, उखड़े रास्ते और गहरे गड्ढे नगर निगम और जेडीए की निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। शहर के बाहरी इलाकों से लेकर पॉश कॉलोनियों तक हालात बदतर हैं। कहीं अस्थायी रूप से ग्रेवल डाली जा रही है, तो कहीं सीमेंटेड रोड बनाकर मरम्मत का दिखावा किया जा रहा है। जलनिकासी की व्यवस्थाएं भी फेल साबित हो रही हैं। कई जगहों पर तो जेडीए और नगर निगम ने सड़कें खोदकर अधूरी छोड़ दी हैं, जिससे स्थानीय लोगों का आना-जाना बेहद मुश्किल हो गया है।
मानसून से पहले जिम्मेदार महकमे तैयारी भी नहीं करते हैं। यही वजह है कि बरसात में व्यवस्थाओं की पोल खुल जाती है और लोग परेशान होते रहते हैं। कई सड़कें ऐसी भी हैं, जिन्हें बने हुए छह माह भी नहीं हुए हैं। ऐसे ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई है।
मिट्टी के सहारे निकल रहे लोग
गांधी पथ पश्चिम (वैशाली नगर) को जेडीए ने जैसे सड़क निर्माण की प्रयोगशाला बना दिया है। छह महीने पहले बनी सड़क अब मौके से ही गायब है। कुछ दिन पहले वहां ग्रेवल और मिट्टी डाली गई, लेकिन बारिश ने उसे कीचड़ में तब्दील कर दिया। गड्ढों की गहराई ऐसी है कि वाहन चलाना क्या, पैदल चलना भी दुश्वार हो गया है। अब कुछ स्थानों पर सीमेंट की पट्टियाँ डालकर आवागमन चालू रखने की कोशिश की जा रही है।
सिरसी रोड, गली नंबर 5 (पांच्यावाला) में सड़क की कोई पहचान नहीं बची। सड़क का एक हिस्सा खोदकर छोड़ दिया गया है। ऐसे में लोगों ने रास्ता बनाने के लिए मिट्टी से भरे कट्टे बिछा दिए हैं।
सीवर लाइन फटी…सड़क समा गई और गड्ढे में उतर गई व्यवस्था
हैरिटेज नगर निगम क्षेत्र में जर्जर सीवर लाइनों को बदलने में लापरवाही बरतने का खमियाजा एक बार फिर सामने आया है। रविवार को हसनपुरा पुलिया के पास परिवहन मार्ग पर सीवर लाइन धंसने से सड़क अचानक भरभराकर बैठ गई।
स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ ही मिनटों में सड़क पर बड़ा गड्ढा बन गया, जो गंदे पानी से लबालब भर गया। गनीमत रही कि लोगों ने पहले से ही सड़क के धंसने की आशंका जताते हुए वहां बैरिकेड्स लगा दिए थे। इसी सजगता के चलते कोई वाहन या व्यक्ति हादसे की चपेट में नहीं आया। गौरतलब है कि जिस स्थान पर सड़क धंसी, वहां से दिनभर बसों की आवाजाही होती है। यदि समय रहते एहतियात न बरती जाती, तो बड़ा हादसा हो सकता था।
अब होगा सर्वे: नगर निगम के अधीक्षण अभियंता चरण सिंह मीना ने बताया कि हसनपुरा पुलिया के पास जो लाइन धंसी है, वह 600 एमएम की है। जल्द ही पूरे क्षेत्र में सीवर लाइनों का सर्वे कराया जाएगा।
ड्रेनेज सिस्टम न होने से हर साल टूटती हैं 30 फीसदी सड़कें
एक अनुमान के मुताबिक, मानसून के दौरान लगभग 30 फीसदी सड़कें सिर्फ इसलिए खराब हो जाती हैं क्योंकि उनके पास जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं होती। जेडीए से लेकर नगर निगम तक की लापरवाही इसका कारण है। शहरी सरकारें हर साल मानसून से पहले नाला सफाई के नाम पर करीब 12 करोड़ रुपए खर्च करती हैं, लेकिन पानी फिर भी नहीं निकलता। नतीजा-बारिश आते ही सड़कें बहने लगती हैं।
इन इलाकों में भी बदहाली का आलम जगतपुरा: ड्रेनेज का काम अधूरा, कीचड़ और जलभराव से परेशानी। टोंक रोड से वाटिका तक: नई बनी सड़क बारिश में ध्वस्त। दिल्ली रोड व कूकस बस स्टैंड क्षेत्र: हर ओर गड्ढे ही गड्ढे, समाधान नहीं।
श्याम नगर सब्जी मंडी, खातीपुरा रोड, गोपालपुरा बायपास, टीएन मिश्रा मार्ग, हनुमान नगर, निवारू रोड, बजरी मंडी रोड, इन सभी जगहों पर ’सड़क के मरहम’ का काम जारी, लेकिन असर नजर नहीं आ रहा।
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