सम्पादकीय : रेल यात्रियों में सुरक्षा का भरोसा बढ़ाने वाला कदम
रेलवे प्रशासन ने यह महसूस किया है कि अपराध रोकने व अपराधियों की धरपकड़ में ज्यादातार मामलों में नाकामी की बड़ी वजह यही रहती आई है कि अपराधियों की पहचान नहीं हो पा रही थी। इसमें कोई संशय नहीं कि सीसीटीवी कैमरे लगने पर अपराधियों पर तीसरी आंख की नजर रखी जा सकेगी।


रेल यात्रियों में सुरक्षा के प्रति भरोसा बढ़ाने के मकसद से रेलवे ने 74 हजार कोचों व पन्द्रह हजार इंजनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का स्वागत योग्य फैसला किया है। भारत में वैसे तो रेल यात्रा को सुगम व सुरक्षित माना जाता है लेकिन पिछले एक दशक के दौरान रेलगाडिय़ों में लूट, डकैती व चोरी की वारदातों का जो आंकड़ा सामने आया है उसे देखते हुए इन घटनाओं पर अंकुश लगाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। यह जरूरत इसलिए भी है क्योंकि पिछले कुछ समय से ऐसी वारदातें पांच गुना से ज्यादा बढ़ गईं है। इसकी वजह यह भी है कि रेलों में छिटपुट बदमाशों के अलावा अपराधियों के संगठित गिरोह भी वारदातों को अंजाम देने लगे हैं। इसी के चलते कुछ ट्रेन व रूट तो बदनाम हो चले हैं।
यात्रियों की सुरक्षा की चिंता रेलवे सदैव करता रहा है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। हर यात्री गाड़ी में सुरक्षा बल के जवानों को तैनात करने का फैसला भी किया था। इसका सकारात्मक असर तो हुआ लेकिन चिंता की बात यह है कि इससे अपराधों पर पूरी तरह लगाम नहीं लग सकी। रेलवे की खुद की संपत्ति के चोरी होने की घटनाएं भी कम नहीं हैं। रेलवे को इन्हें रोकने में भी मदद मिलेगी।रेलवे प्रशासन ने यह महसूस किया है कि अपराध रोकने व अपराधियों की धरपकड़ में ज्यादातार मामलों में नाकामी की बड़ी वजह यही रहती आई है कि अपराधियों की पहचान नहीं हो पा रही थी। इसमें कोई संशय नहीं कि सीसीटीवी कैमरे लगने पर अपराधियों पर तीसरी आंख की नजर रखी जा सकेगी। इससे न सिर्फ अपराधों में कमी आएगी, बल्कि अपराध के अनुसंधान, अपराधियों की पहचान व उनकी धरपकड़ के प्रयासों को भी उल्लेखनीय गति मिलेगी। सीसीटीवी की कामयाबी के बारे में इसलिए आश्वस्त हुआ जा सकता है कि उत्तर रेलवे में इस संबंध में प्रयोग के तौर पर की गई व्यवस्था के काफी सकारात्मक परिणाम आए हैं। इस प्रयोग की सफलता के बाद ही इसे पूरे भारत में लागू करने का फैसला किया गया है। इन सीसीटीवी को लेकर आम यात्रियों को यह चिंता करने की जरूरत नहीं कि ये कैमरे उनकी निजता को प्रभावित करेंगे। कैमरों का फोकस रेल के दरवाजे से भीतर-बाहर जाने वाले यात्रियों के चेहरे को अच्छी तरह कैद करने पर ही होगा। समय, परिस्थिति और हुलिए के आधार पर कैमरे देखकर अपराधियों की पहचान की जा सकेगी। इसीलिए यह उम्मीद की जानी चाहिए कि एक बार कैमरे में कैद होने पर अपराधियों के पकड़े जाने के आसार बढ़ जाएंगे। इतना ही नहीं, अपराधी के लिए दूसरी बार वारदात करना आसान नहीं रहेगा। इन कैमरों में इतनी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि सौ किलोमीटर से भी ज्यादा गति से दौडऩे वाली रेल में लगभग अंधेरे की स्थिति में भी व्यक्ति का चेहरा साफ देखा जा सकेगा। इससे अपराधियों में भय रहेगा और आम यात्री बेखौफ यात्रा कर सकेगा, जो रेलवे का मुख्य उद्देश्य है।
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