जयपुर। राज्य सरकार ने राज्य के कारीगरों और हस्तशिल्प कलाकारों के लिए एक बड़ी पहल की है। सरकार ने 50 करोड़ रुपए का एक विशेष फंड शुरू किया है जिससे कारीगरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और उनके बनाए सामान को देश-विदेश में बेचने में मदद मिलेगी। यह योजना “राजस्थान हस्तशिल्प नीति 2022” के तहत लाई गई है। इसका मकसद है कि 2026 तक 50,000 लोगों को रोजगार मिले।
इस योजना के तहत जयपुर और जोधपुर में खास डिजाइन सेंटर बनाए गए हैं। यहां पर कारीगरों को नई तकनीक, डिजाइन और डिजिटल मार्केटिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी। 2025 में 1000 कारीगरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेच सकें। सरकार ने एक ई-कॉमर्स पोर्टल (ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म) शुरू किया है। इसके जरिए कारीगर अपने बनाए सामान को सीधे विदेशों में बैठे खरीदारों को बेच पाएंगे। इससे बिचौलिए खत्म होंगे और आमदनी बढ़ेगी।
राजस्थान के हस्तशिल्प और गहनों को दुनिया के सामने लाने के लिए 2025 में दुबई और न्यूयॉर्क में खास निर्यात मेले लगाए जाएंगे। इसमें राज्य के कारीगर हिस्सा लेकर अपने सामान को विदेशी बाजार में दिखा सकेंगे। 18 से 50 साल की उम्र वाले कारीगरों को सरकार प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का फायदा देगी। इस योजना में बीमा की प्रीमियम राशि सरकार खुद देगी। इससे कारीगरों को सुरक्षा मिलेगी।
सरकार ने “वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट” यानी हर जिले का एक खास उत्पाद बढ़ावा देने की योजना भी लागू की है। इससे हर जिले के पारंपरिक काम को नई पहचान मिलेगी। पिछले कुछ सालों में राजस्थान का हस्तशिल्प और रत्न-आभूषण निर्यात लगातार बढ़ा है। यह वृद्धि ‘निर्यातक बनो’ जैसी सरकारी पहलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के उपयोग से संभव हुई।
2017-18: 3,701 करोड़ रुपए 2021-22: 7,830 करोड़ रुपए 2022-23: कुल निर्यात 72,000 करोड़ रुपए, जिसमें 15% हिस्सा हस्तशिल्प और गहनों का था। 2023— 24: वैश्विक मंदी के बावजूद हस्तशिल्प निर्यात स्थिर रहा
2024-25: उम्मीद है कि यह आंकड़ा अब 8,000 करोड़ रुपए पार कर जाएगा।
दो कारीगरों की सफल कहानिया..
रमेश मीणा, जयपुर (ब्लू पॉटरी कलाकार)..
रमेश ने 2024 में सरकार की ट्रेनिंग ली। उन्होंने नए डिजाइन और ऑनलाइन बिक्री सीखी। पहले जहां उनकी कमाई 15,000 रुपए थी, अब 30,000 रुपये मासिक हो गई है। उनके बनाए बर्तन अब यूरोप और अमेरिका में बिक रहे हैं।
शांति देवी, जोधपुर (हथकरघा बुनकर)..
शांति देवी ने जोधपुर सेंटर से साड़ी डिजाइनिंग सीखी। उन्होंने दुबई मेले में अपनी साड़ियां बेची और 2 लाख रुपए का ऑर्डर मिला। अब वे आत्मनिर्भर हो गई हैं।
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