Rajasthan: बीजेपी ने मनाया संविधान हत्या दिवस, भड़के अशोक गहलोत; बोले- आज देश में ‘अघोषित आपातकाल’
Rajasthan Politics: आपातकाल की बरसी पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा देश भर में ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाए जाने को लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हमला बोला है।
Rajasthan Politics: आपातकाल की बरसी पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा देश भर में ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाए जाने को लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हमला बोला है। गहलोत ने भाजपा पर लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए इसे ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि भाजपा द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाना ‘बेईमान व्यक्ति का ईमानदारी पर ज्ञान देने’ जैसा है। गहलोत ने दावा किया कि पिछले 11 वर्षों में देश में लोकतंत्र का सबसे अधिक ह्रास हुआ है।
बीजेपी पर ‘अघोषित आपातकाल’ का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भाजपा सरकारों द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाना ऐसा है जैसा किसी बेईमान व्यक्ति का ईमानदारी पर ज्ञान देना। इस देश में यदि लोकतंत्र का सबसे ज्यादा ह्रास हुआ है तो वह पिछले 11 सालों में हुआ है।
गहलोत ने अपनी पोस्ट में मौजूदा हालात को ‘अघोषित आपातकाल’ बताते हुए कहा कि भारत में आज जो हालात हैं, उसे सिर्फ दो शब्दों में बयान किया जा सकता है “अघोषित आपातकाल” क्योंकि अभी ना संविधान सस्पेंड किया गया है, ना राष्ट्रपति ने घोषणा की है, लेकिन जनता के हक, बोलने की आज़ादी, और विपक्ष की आवाज़ दबाने का प्रयास लगातार जारी है।
उन्होंने कहा कि आज स्थिति ऐसी है कि पत्रकार अगर सवाल पूछे तो देशद्रोही, छात्र अगर विरोध करें तो आतंकवादी, विपक्षी नेता अगर सरकार का विरोध करें तो ED का शिकार। क्या यही है भाजपा सरकार के लोकतंत्र का नया मॉडल? असल में लोकतंत्र की हत्या यही है।
भाजपा सरकारों द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाना ऐसा है जैसा किसी बेईमान व्यक्ति का ईमानदारी पर ज्ञान देना। इस देश में यदि लोकतंत्र का सबसे ज्यादा ह्रास हुआ है तो वह पिछले 11 सालों में हुआ है।
भारत में आज जो हालात हैं, उसे सिर्फ दो शब्दों में बयान किया जा सकता है "अघोषित आपातकाल"…
गहलोत ने कहा कि स्वतंत्र मीडिया चैनलों को चुप कराना, सिद्धीक़ कप्पन जैसे पत्रकारों पर FIR कर रिपोर्टिंग के लिए उन्हें सालों तक जेल में डालना, ये सब प्रेस की आज़ादी का गला घोंटना नहीं तो और क्या है? आज विपक्ष का कोई नेता सरकार पर आरोप लगाता है तो उसे नहीं दिखाया जाता परन्तु सरकार की उन आरोपों पर प्रतिक्रिया आए तो उसे प्रमुखता से दिखाकर उन आरोपों को ही गलत साबित करने का प्रयास मीडिया के माध्यम से किया जाता है।
उन्होंने स्वतंत्र मीडिया पर अंकुश लगाने का भी आरोप लगाया। गहलोत ने कहा कि NDTV, दैनिक भास्कर, BBC, न्यूजक्लिक समेत तमाम मीडिया संस्थानों पर इसलिए छापे डाले गए क्योंकि उन्होंने सरकार को आइना दिखाने वाली खबरें दिखाई थीं।
यहां देखें वीडियो-
मौजूदा स्थिति को और गंभीर बताया
गहलोत ने 1975 के आपातकाल की तुलना में मौजूदा स्थिति को और गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान किसी भी मुख्यमंत्री को गिरफ़्तार नहीं किया गया था और न ही किसी की संसद सदस्यता रद्द की गई थी परन्तु भाजपा सरकार में झारखंड के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री को जेल में डाल दिया गया। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई। विपक्ष के 200 से अधिक नेताओं पर ED की कार्रवाई की गई जबकि इनमें से कई नेता जब भाजपा में गए तो कार्रवाई बन्द हो गई।
सरकारें गिराने का भी आरोप लगाया
उन्होंने विधायकों की खरीद-फरोख्त के जरिए सरकारें गिराने का भी आरोप लगाया। गहलोत ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान किसी भी राज्य में विधायकों की खरीद फरोख्त कर सरकार नहीं गिराई गई परन्तु पिछले 11 साल में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर समेत तमाम राज्यों में विधायकों की खरीद-फरोख्त कर जनमत को चुराया गया और सरकारें गिराईं गईं।
अशोक गहलोत ने कहा कि विपक्षी लोगों के फोन टैप करना, उनकी जासूसी करना इस सरकार का शौक है। आज पूरे देश में पति-पत्नी तक नॉर्मल कॉल पर बात करने से डरते हैं और फेसटाइम एवं वॉट्सऐप पर बात करते हैं। हर किसी को ये डर है कि उनकी बातचीत कोई सुन तो नहीं रहा।
हम डरेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं- गहलोत
अंत में उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधान को माना नहीं जा रहा है। राज्य सूची के विषयों पर केन्द्र सरकार कानून बनाकर तानाशाही से लागू कर रही है। जहां भाजपा की सरकारें हैं वहां कई राज्यों में मुख्यमंत्री थोपे गए हैं एवं जहां विपक्ष की सरकारें हैं वहां राज्यपालों के माध्यम से राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप किया जाता है। यह लोकतंत्र और संविधान की हत्या है। हम डरेंगे नहीं। झुकेंगे नहीं। संविधान, लोकतंत्र और जनता की आवाज़ को बचाने के लिए। हम लड़ते रहेंगे।