खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजेश नागर ने बताया कि प्रहलादपुरा, रीको इंडस्ट्रियल एरिया सीतापुरा स्थित अरावली हनी इंडस्ट्रीज में यह कार्रवाई की गई है। मधुमक्खी पालन करने वालों से शहद को लाकर यहां पर प्रोसेस किया जाता है। उस शहद को यहां पर फ्यूरीफाई कर पैकिंग की जाती है। इसके बाद बाजार में बेचा जाता है। खाद्य विभाग की टीम जब यहां पहुंची तो देखा कि मौके पर अलग अलग तरीके से शहद की पैकिंग की गई थी।
कई डिब्बों पर लिखा था कि यह सरसो की शीड का शहद है। किसी पर जामून के पेड़ पर लगा शहद लिखा था। इस तरह से अलग अलग किस्मों से शहद को अलग अलग कलर में रखा गया था। जिसे बिक्री के लिए तैयार था। जब इनकी रेट पूछी तो सामने आया कि यह शहद डेढ़ सौ रुपए किलो बिक रहा है, जो आमतौर पर संभव नहीं है। क्योंकि शहद की बाजार रेट तीन सौ से पांच सौ रुपए किलो के बीच मानी जाती है। इसके अलावा ब्रांडेड कंपनियां तो और भी महंगा शहद बेचती है।
मिलावट का अंदेशा होने पर मौके पर 4540 किलो शहद को सीज कर दिया गया। इसके सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे गए है। जिसकी रिपोर्ट आने पर साफ होगा कि यह शहद असली है या नकली है। इसमें क्या क्या मिलावट की गई है। आम तौर पर शहर में सुक्रोज, गुड़ और चीनी की मिलावट होती है। लेकिन इस शहद की जांच रिपोर्ट आने पर मिलावट का मामला स्पष्ट होगा। वहीं फैक्ट्री में मौजूद शहद के पैकिंग की जांच की तो सामने आया कि उन पर मेन्यूफेक्चरिंग, एक्सपायरी आदि भी नहीं लिखे हुए है। जिसे लेकर जांच की जा रहीं है। यह शहद ज्यादातर बाहरी राज्यों में सप्लाई होता है। नागर ने बताया कि पूछताछ में मौके पर सामने आया कि यह शहद केरल जाना था।
मौके पर नहीं मिला मिलावट का सामान.. खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजेश नागर ने बताया कि इतना सस्ता शहद होने पर मिलावट का अंदेशा है। लेकिन मौके पर मिलावट का कोई सामान नहीं मिला। ऐसे में हो सकता है कि मिलावट किसी ओर जगह की गई हो। इसके बाद यहां लाकर पैकिंग की गई हो और बेचा जा रहा हो।