6 मई को शेरनी ‘तारा’ ने दो शावकों को जन्म दिया था। लेकिन जन्म के तुरंत बाद से ही दोनों शावकों की हालत नाजुक बनी हुई थी। पार्क प्रशासन के मुताबिक जन्म के बाद शेरनी ‘तारा’ ने अपने दोनों शावकों को दूध नहीं पिलाया। यह व्यवहार शेरनी के लिए असामान्य माना जा रहा है। इसी वजह से शावकों का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया।
हालात को देखते हुए पार्क प्रशासन ने दोनों शावकों को मां से अलग कर रेस्क्यू सेंटर के नियोनेटल केयर यूनिट में शिफ्ट किया। यहां डॉ. अरविंद माथुर और उनकी टीम की निगरानी में शावकों की देखभाल शुरू की गई। चिकित्सकों ने दोनों शावकों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद एक के बाद एक दोनों शावकों ने दम तोड़ दिया। मंगलवार को पहले शावक की मौत हुई और बुधवार को दूसरे शावक ने भी दम तोड़ दिया।
शावकों की लगातार बिगड़ती हालत और फिर मौत ने नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि शेरनी द्वारा दूध नहीं पिलाने पर तत्काल दोनों शावकों को मां से अलग करने का फैसला किसने लिया और क्या यह कदम सही था।
बता दें कि शेरनी ‘तारा’ का जोड़ा एशियाटिक लॉयन ‘शक्ति’ के साथ बनाया गया था। इन दोनों के शावकों से पार्क प्रशासन और वन विभाग को बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन उनकी मौत से वन्य जीव संरक्षण के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है। अब सवाल खड़े हो गए है कि आखिर इन शावकों की मौत का जिम्मेदार कौन है और क्या प्रशासनिक लापरवाही इसकी वजह बनी।