अमूर्त कलाकृतियों की विशेष प्रदर्शनी के दौरान उन्होंने ‘इंटेजिब्लिज्म आर्ट’ को एक वैचारिक आंदोलन बताया। यह कला भौतिकता से परे अदृश्य विचारों, भावनाओं और अनुभवों को अभिव्यक्त करती है। पृथ्वीवासी ने युवाओं से इस कला को अपनी हॉबी और अभिव्यक्ति का साधन बनाने और सरोकार के कार्य करने की अपील की। इसी विचार के साथ पृथ्वीवासी ने वैश्विक स्तर पर ‘इंटेजिब्लिज्म आर्ट प्रोजेक्ट’ की शुरुआत की घोषणा की है। जो कलाकारों, विचारकों और समाज सुधारकों को इस आंदोलन से जोड़ने का कार्य कर रहा है। इस दौरान मोन अमौर गैलरी की सिमरन कौर भी मौजूद रहीं।
कला के क्षेत्र में इस तरह हैं सक्रिय
पृथ्वीवासी ने बताया कि उन्होंने 1996 से अब तक 10 हजार से अधिक विद्यार्थियों को कला के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा अनाथ, दिव्यांग, और शहीद परिवारों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी है। कोरोनाकाल के दौरान लॉकडाउन का दौर था तब उन्होंने ऑनलाइन मुफ्त कला कक्षाओं की शुरुआत की, जिसके माध्यम से हजारों छात्रों को मानसिक और भावनात्मक सहयोग दिया गया। गुरु दक्षिणा के तौर पर उन्होंने प्रत्येक छात्र से एक वृक्ष लगाने और की बात कही।