डोटासरा ने बताया- ‘कांग्रेस की नीति की जीत’
जातिगत जनगणना के फैसले के बाद राजस्थान पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जाति जनगणना न्याय दिलाएगी, कांग्रेस 50% आरक्षण की दीवार हटाएगी। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना का निर्णय लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जी के न्याय संकल्प की देश में गूंज और कांग्रेस की नीति की जीत है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी जी की दूरदृष्टि और न्याय के संकल्प ने आज देश में दो तिहाई वंचित आबादी की तरक्की के लिए न्याय की नींव रखी है।
डोटासरा ने कहा कि आखिरकार केंद्र की मोदी सरकार को राहुल जी की जाति जनगणना की बात माननी पड़ी। उन्होंने का कि राहुल जी ने सड़क से संसद तक मुखरता से जाति जनगणना का मुद्दा उठाया है, जिसके सामने भाजपा को झुकना पड़ा। अब केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनते ही आरक्षण पर 50% की लिमिट हटेगी और आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी मिलेगी। क्योंकि देश में सामाजिक न्याय, वंचितों की भागीदारी और उनका प्रतिनिधत्व सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना जरूरी है।
कब होगी जाति जनगणना?
मोदी सरकार के मुताबिक जनगणना इस वर्ष सितंबर से शुरू हो सकती है और इसे पूरा होने में करीब एक साल का समय लग सकता है। ऐसे में आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक सामने आ सकते हैं। हालांकि सरकार ने अभी सटीक तारीख का एलान नहीं किया है। बता दें, भारत में हर 10 वर्षों में जनगणना होती है, लेकिन 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते स्थगित कर दी गई थी।
कांग्रेस ने हमेशा की खानापूर्ति- वैष्णव
वहीं इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज जो कांग्रेस जातिगत जनगणना की पैरवी कर रही है, वही कांग्रेस 2010 में इस पर सिर्फ सर्वे कराकर खानापूरी करती रही थी। उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में जातिगत जनगणना की बात कही जरूर थी, लेकिन उसे कभी गंभीरता से लागू नहीं किया गया। उन्होंने आगे बताया कि उस समय एक मंत्री समूह भी बनाया गया था, जिसमें कई दलों ने जातिगत जनगणना की संस्तुति दी थी, लेकिन कांग्रेस ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
जातिगत जनगणना क्यों है अहम?
जातिगत जनगणना से सरकार को देश में जाति-आधारित वास्तविक सामाजिक और आर्थिक स्थिति का डेटा मिलेगा। इससे भविष्य में नीतियों का निर्धारण, आरक्षण की सीमा पर पुनर्विचार, शैक्षणिक व रोजगार अवसरों में संतुलन जैसे अहम विषयों पर निर्णय लेना संभव होगा। यह OBC, SC, ST, और अन्य वंचित तबकों के लिए प्रतिनिधित्व और संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण का आधार बन सकती है।
जनगणना की मांग कौन कर रहा है?
जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस, राजद (RJD), सपा (SP), बसपा (BSP), एनसीपी शरद पवार गुट, और बीजेडी (BJD) जैसे कई दल लंबे समय से आवाज़ उठा रहे हैं। इन दलों का मानना है कि जातिगत आंकड़ों के बिना सामाजिक न्याय और सच्ची समानता संभव नहीं। बता दें, मोदी सरकार का यह निर्णय एक ओर जहां राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।