Rajasthan Assembly Budget Session 2025: राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र 2025 के दौरान मंगलवार को सहकारिता और खाद्य विभाग की अनुदान मांगों पर हुई बहस में किसानों की फसलों की उचित कीमत और एमएसपी गारंटी कानून को लेकर कांग्रेस विधायक शिमला देवी नायक ने सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि आज भी किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है और एमएसपी पर खरीद की गारंटी नहीं दी जा रही है।
बहस के दौरान शिमला देवी नायक ने सरकार से सीधे सवाल किया कि किसान आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून अब तक नहीं बना। केंद्र में तो डबल इंजन की सरकार है, फिर भी किसान को उसकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा। किसान आंदोलन के दौरान लगभग 700 किसानों ने शहादत दी थी, आज भी जगजीत सिंह मरणासन्न अवस्था में हैं। क्या सरकार बताएगी कि एमएसपी गारंटी कानून कब लागू होगा?
उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान में बाजरे का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है, लेकिन क्या सरकार इसकी एमएसपी पर खरीद करेगी? 1 अप्रैल से गेहूं की फसल बाजार में आती है, जबकि सरसों पहले ही बाजार में आ जाती है, इसकी खरीद की क्या व्यवस्था की गई है? सरकार ने बीच में टेंडर रोक दिया, क्या 15 मार्च तक एमएसपी पर सरसों की सरकारी खरीद शुरू होगी? उन्होंने कहा कि एमएसपी पर खरीद में जन आधार कार्ड के बजाय आधार कार्ड से खरीद का सिस्टम लागू किया जाए।
गिग वर्कर्स कानून का उठा मुद्दा
बताते चलें कि राजस्थान विधानसभा में गिग वर्कर्स (ऑनलाइन सामान की सप्लाई करने वाले श्रमिक) के कल्याण से जुड़े कानून को लागू करने को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच बहस हुई। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार से गिग वर्कर्स कानून लागू करने की समय सीमा पूछी, लेकिन मंत्री ने सीधा जवाब देने के बजाय सरकार की घोषणाओं का जिक्र किया।
इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 58% जन घोषणाएं पूरी कर दी हैं, इसे भी पूरा करेंगे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री को सीधा जवाब देने के लिए कहा। मंत्री ने कहा कि हम सरकार की ओर से जवाब दे रहे हैं, अपनी बात तो कहेंगे ही। गिग वर्कर्स के लिए 350 करोड़ रुपये की घोषणा की गई है।
फिर नेता प्रतिपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा कि आप घोषणा पत्र की बात कर रहे हैं, लेकिन मजदूरों से संबंधित चार घोषणाएं की गई थीं, जिनमें से आज तक एक भी पूरी नहीं हुई।
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क्या है गिग वर्कर्स कल्याण कानून?
गिग वर्कर्स वे लोग होते हैं जो फूड डिलीवरी, कैब ड्राइविंग, लॉजिस्टिक्स और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अस्थायी या अनुबंध आधारित नौकरियां करते हैं। उनके अधिकारों और सुरक्षा को लेकर पिछली गहलोत सरकार ने विशेष कल्याण कानून लाने की घोषणा की थी। लेकिन अब तक इसे ढंग से लागू नहीं किया गया है, जिससे विपक्ष सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहा है।