आकर्षक भुगतान का लालच दे रहे
एसपी साइबर क्राइम शांतनु कुमार ने बताया कि साइबर अपराधी लगातार अपनी कार्यप्रणाली बदल रहे हैं और अब वे लोगों को व्यापारिक वेबसाइटों पर ‘लाइक्स’ और ‘रेटिंग’ देने के बदले आकर्षक भुगतान का लालच दे रहे हैं। यह धोखाधड़ी बेहद सुनियोजित तरीके से की जाती है। शुरुआत में साइबर अपराधी कॉल या सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से संपर्क करते हैं और उन्हें कुछ वेबसाइटों या पोस्टों को ‘लाइक’ या ‘रेटिंग’ देने के लिए कहते हैं। एसपी शांतनु कुमार ने कहा कि याद रखें साइबर अपराध से बचाव में जागरूकता और सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है। किसी भी अज्ञात या अविश्वसनीय स्रोत से आने वाले लुभावने प्रस्तावों से बचें और अपनी व्यक्तिगत व वित्तीय जानकारी को सुरक्षित रखें।
ऐसे जीतते हैं विश्वास
शुरुआती टास्क के लिए साइबर ठग तुरंत थोड़े पैसे का भुगतान करते हैं, जिससे पीडि़तों का विश्वास जीतना आसान हो जाता है। एक बार जब पीडि़त को लगने लगता है कि यह एक वास्तविक अवसर है तो अपराधी उनसे उनकी यूपीआई आईडी, फोन नंबर जैसे व्यक्तिगत विवरण मांगते हैं और उन्हें ऐसे सोशल मीडिया ग्रुप्स में शामिल करते हैं। जहां साइबर अपराधियों के अन्य सहयोगी भी मौजूद होते हैं। इन ग्रुप्स में अपराधी के सहयोगी लगातार ‘लाइक्स’ और ‘रेटिंग’ से हुई मोटी कमाई के फर्जी स्क्रीनशॉट साझा करते हैं, जिससे दूसरों को भी ज्यादा पैसे कमाने का लालच आता है।
टैक्स की रकम के नाम लेते हैं रुपए
जैसे ही पीडि़त व्यक्ति ‘लाइक्स’ और ‘रेटिंग’ के अपने टास्क पूरे करते हैं और मेहनताने का दावा करते हैं, अपराधी उनसे कमीशन या टैक्स के नाम पर बड़ी रकम की मांग करना शुरू कर देते हैं। वे पीडि़तों को यह विश्वास दिलाते हैं कि एक बड़ी राशि इक_ा हो रही है जिसे निकालने के लिए ये शुल्क आवश्यक हैं। लालच में फंसे लोग लगातार पैसे देते रहते हैं, लेकिन उन्हें कभी भी अपनी मूल कमाई या दिए गए पैसे वापस नहीं मिलते। इस प्रक्रिया में वे न केवल अपनी मेहनत की कमाई गंवा देते हैं, बल्कि अपनी गोपनीय जानकारी भी साइबर अपराधियों के हाथ लग जाती है, जिसका दुरुपयोग किया जा सकता है। राजस्थान पुलिस की सलाह
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ‘रेटिंग’ या ‘लाइक्स’ करने के लिए पैसे नहीं मिलते हैं। ऐसे किसी भी प्रलोभन से बचें।
- ऑनलाइन ग्रुप्स में दिखाए जा रहे कमाई के स्क्रीनशॉट पर आंख बंद करके भरोसा न करें। ये अक्सर धोखेबाजों के सहयोगी द्वारा डाले गए फर्जी प्रमाण होते हैं।
- यदि आप इस प्रकार की किसी घटना के शिकार होते हैं, तो तुरंत कार्रवाई करें।
- साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930, साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर या अपने निकटतम पुलिस स्टेशन/साइबर पुलिस स्टेशन में इसकी सूचना दें।