लालच में फंसता गया
आरोपी संदीप कुमार कुछ महीनों पहले ऑनलाइन गेमिंग की लत लग गई। उसने गेम खेलते हुए मोटी रकम जीतने की उम्मीद में अपनी सैलरी के साथ-साथ ग्राहकों से वसूली गई किश्तों के पैसे भी इसमें लगाने शुरू कर दिए। उसने शुरुआत में छोटी राशि से गेम खेलना शुरू किया। जब शुरुआती बार में उसे थोड़ा-बहुत फायदा हुआ, तो उसका लालच बढ़ता गया। इसके बाद उसने अपनी फाइनेंस कंपनी की वसूली से प्राप्त बड़ी-बड़ी किश्तों को भी ऑनलाइन गेम में लगाना शुरू कर दिया। जिसमें वह हारता चला गया और गहरे दलदल में फंसता चला गया।
ग्राहकों से वसूली किश्तों का गबन
चार महीनों में संदीप को लगभग 3 लाख की राशि ग्राहकों से वसूली के दौरान जमा करानी थी। उसने न तो पैसे जमा किए और न ही कंपनी को कोई स्पष्टीकरण दिया। जब बार-बार रसीदों की मांग और कंपनी का दबाव बढ़ने लगा तो संदीप ने फर्जी लूट की कहानी गढ़ दी।
पुलिस को किया गुमराह
16 जून 2025 की दोपहर संदीप ने सूरजगढ़ थाने में रिपोर्ट दी कि वह पांच रसीदों का कुल 3,06,270 लेकर पिलानी स्थित एयरटेल पेमेंट बैंक में जमा करवाने जा रहा था। जीणी गांव के पास एक सफेद बिना नंबर की कार ने उसे ओवरटेक कर रोका। कार से चार लोग उतरे, जिनमें से एक के हाथ में पिस्टल थी। उन्होंने उसे डरा-धमकाकर सारा पैसा लूट लिया और फरार हो गए।
सीसीटीवी फुटेज से खुली पोल
संदीप की रिपोर्ट पर पुलिस तत्काल हरकत में आई। पुलिस ने घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। लेकिन वहां न तो कोई कार नजर आई और न ही किसी संदिग्ध गतिविधि मिली बल्कि सीसीटीवी में संदीप अकेला ही मोटरसाइकिल से आता-जाता दिखाई दिया। इस पर पुलिस को संदेह हुआ। जब कड़ाई से पूछताछ की, तो संदीप ने खुद ही कबूल कर लिया कि लूट की कोई वारदात नहीं हुई। यह सब झूठ था। उसने जो रकम गबन की थी उसे ऑनलाइन गेम में हार चुका था।
पहले भी कर चुका था हेराफेरी
जांच में यह भी सामने आया कि यह पहला मौका नहीं था जब संदीप ने रकम का गलत इस्तेमाल किया हो। वह पहले भी वसूली के पैसे को समय पर जमा नहीं करता था और गेम खेलने के लिए राशि एडजस्ट कर देता था। मगर हर बार मामला संभल जाता था। इस बार बात बहुत बड़ी रकम की थी, और कंपनी का भी दबाव काफी बढ़ चुका था, जिससे वह फंस गया।