सरकार प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग को लेकर सख्ती दिखाए और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए तो प्रदेश के तमाम प्रोजेक्टों को जल्दी पूरा किया जा सकता है। हाल-ए-प्रोजेक्ट – जयपुर के एसएमएस अस्पताल में बन रहे 665 करोड़ रुपए के आइपीडी टावर की लागत बढ़कर 800 करोड़़ हो गई है। अप्रेल 2022 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को नवम्बर 2024 में पूरा करना था, लेकिन अभी तक 23 मंजिला भवन में से मात्र 19 मंजिल का काम हो सका है। अब जून 2026 तक पूरा करना बताया जा रहा है।
– दिल्ली-मुंबई 8 लेन के तहत कोटा के निकट मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बन रही टनल का काम दिसंबर 2024 में पूरा होना था, जो अब दिसंबर 2025 में पूरा करना बताया जा रहा है। इसकी लागत 1000 करोड़ रुपए है। इसमें अभी बढ़ोतरी को लेकर स्थिति साफ नहीं है।
– झालावाड़ और बारां जिले की परवन सिंचाई परियोजना 2017 में शुरू हुई और 2021 में पूरी होनी थी, लेकिन अभी तक मात्र 60 फीसदी काम पूरा हो सका है। इसकी लागत 673 करोड़ रुपए से बढ़कर 4400 करोड़ रुपए हो गई है।
– झुंझुनूं में पुलिस लाइन फाटक पर ओवरब्रिज के लिए वर्ष 2015 में 36.12 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे। करीब 850 मीटर लंबे इस ओवरब्रिज का कार्य सितम्बर 2020 को पूरा होना था। अभी बजट की कमी के कारण कार्य अधूरा है। अब ओवरब्रिज की लागत 36 करोड़ से बढ़कर करीब 52 करोड़ हो गई है।
– भरतपुर में सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन (सीएफसीडी) के प्रथम फेज में 282.7 करोड़ रुपए का काम 9 जुलाई 2022 को शुरू हुआ था। यह 8 अक्टूबर 2023 को पूरा होना था, लेकिन यह अभी तक अधूरा है और लागत बढ़कर 300 करोड़ रुपए पार कर गई है।
-अजमेर के गुलाबबाड़ी रेलवे फाटक पर बन रहे रेलवे ओवरब्रिज का कार्य 7 साल से अधूरा है। साल 2018 में 850 मीटर के ओवरब्रिज का काम शुरू हुआ। तब 40 करोड़ रुपए लागत थी। यह 2020 में पूरा होना था। लेकिन अभी अधूरा है और अब लागत बढ़ गई है।
– नागौर जिले में शहर के कृषि तिराहे से गोगेलाव तिराहे तक 6.2 किमी फोरलेन सड़क बननी थी। इसका बजट 18 करोड़ था। काम सालभर पहले पूरा होना था, लेकिन काम सही नहीं करने पर जांच में कमियां मिली। इन कमियों को सही नहीं करने पर टेंडर निरस्त कर दिया। अब पुनः टेंडर होगा, जिसमें लागत 25 से 30 करोड़ तक आंकी जा रही है।
– श्रीगंगानगर में मिनी सचिवालय के पास 30.58 करोड़ रुपए की लागत से वाणिज्यिक कर और आबकारी विभाग का नौ मंजिला भवन बन रहा है, लेकिन इस काम की रफ्तार धीमी होने से अब नोडल एजेंसी आरएसआरडीपी के अनुसार लागत बढ़कर 38.14 करोड़ तक पहुंच गई है।